वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) में शिवलिंग (Shivling) मिलने और उसके सील की कार्यवाही के अगले दिन मंगलवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने जोरदार बहस की। सुबह ही वादी पक्ष और प्रतिवादी पक्ष के आवेदनों के बाद न्यायालय की कार्यवाही ठीक दोपहर दो बजे शुरू हुई।
इसमें सबसे पहले वादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपनी बात रखते हुए कहा, जहां शिवलिंग (Shivling) मिला है, वहां भीषण बदबू है और वजू से जल गंदा किया जा रहा है। उसके नीचे का हिस्सा दीवारों में चुना गया है। इस स्थल पर बांस-बल्ली व मलबा-पत्थर है। उसे हटाकर तहखाने की दीवार तोड़कर उस स्थान की भी कमीशन कार्यवाही कराने पर बल दिया।
उनका तर्क था कि इससे हकीकत का पता चल जाएगा कि शिवलिंग की गहराई कितनी है। यह स्थान नंदी जी के मुख के ठीक सामने है और वही गर्भगृह बताया गया। प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से सर्वे रिपोर्ट आने के पहले ही मौके पर शिवलिंग पाए जाने की बात पर बिना आपत्ति मांगे उसे सील किये जाने पर आश्चर्य जताया।
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प्रतिवादी पक्ष ने कहा कि पहले रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत हो और वस्तुस्थिति से सभी अवगत हों। इसके बाद हम अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे। इसके साथ ही प्रतिवादी पक्ष ने मीडिया में बयानबाजी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जो न पक्षकारों का वकील है, न सर्वे टीम का सदस्य है।
वह भी इस मामले में अनापशनाप बयान दे रहा है। उधर, प्रदेश सरकार, जिलाधिकारी व पुलिस आयुक्त की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता ने मानवीय दृष्टिकोण का हवाला देते हुए बरामद मछलियों को सुरक्षित व संरक्षित करने की मांग की।
कमीशन की कार्रवाई पर दोनों पक्षों ने नहीं की आपत्ति
सुनवाई के दौरान विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह ने दोनों पक्षकारों से कमीशन की कार्रवाई पर सवाल किया तो दोनों ने कोई आपत्ति नहीं की। इसके बाद उन्होंने अधिवक्ता आयुक्त पर सहयोग नहीं किए जाने का आरोप लगाया तो अदालत ने इस मुद्दे पर अन्य दोनों अधिवक्ता आयुक्तों को स्पष्टीकरण के लिए तलब भी किया। न्यायालय ने पूछा क्या दिक्कत आ रही है, तो दोनों ने कहा, कुछ नहीं हम साथ हैं।
अधिवक्ता आयुक्त ने दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी से नहीं किया
सिविल जज सीनियर डिवीजन रविकुमार दिवाकर की अदालत ने अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्र को हटाते हुए आदेश में कहा कि अधिवक्ता आयुक्त जब कमीशन की कार्यवाही करने जाता है, तब वह लोक सेवक होता है। ऐसे में निष्पक्ष होकर पूरी निष्ठा व ईमानदारी के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। जबकि अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्र ने दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी से नहीं किया।