लखनऊ। ज्ञानवापी विवाद (Gyanvapi Masjid) को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Owaisi) ने एक बड़ा बयान दे दिया है। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) थी, क़यामत तक रहेगी। इससे पहले उन्होंने कहा था, ‘बाबरी की तरह ज्ञानवापी को नहीं जाने देंगे।’ ओवैसी (Owaisi) के इन बयानों के बाद इस मसले पर राजनीति और गर्मा सकती है।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Owaisi) ने अपने ट्वीटर आकउंट से लिखा है, ‘यह बाबरी मस्जिद में दिसंबर 1949 की पाठ्यपुस्तक की पुनरावृत्ति है। यह आदेश ही मस्जिद के धार्मिक स्वरूप को बदल देता है। यह 1991 के एक्ट का उल्लंघन है। यह मेरी आशंका थी और यह सच हो गया है।
ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) फैसले के दिन तक मस्जिद थी और रहेगी। इंशाअल्लाह!’ इस संदेश के साथ उन्होंने एक ट्वीट भी शेयर किया है। उसमें लिखा है, ‘वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में जहां सर्वेक्षण में ‘शिवलिंग’ पाया गया है, उस स्थान को तुरंत सील करने का आदेश दिया है। सील की गई जगह में किसी भी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।’
This is a textbook repeat of December 1949 in Babri Masjid. This order itself changes the religious nature of the masjid. This is a violation of 1991 Act. This was my apprehension and it has come true. Gyanvapi Masjid was & will remain a masjid till judgement day inshallah https://t.co/8r4051ktkw
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) May 16, 2022
Gyanvapi Masjid: शिवलिंग मिलने वाली जगह को सील करने का आदेश, कोर्ट ने वजु पर लगाई पाबंदी
इसके साथ उन्होंने एक वीडियो भी शेयर किया है। उसमें वे कहते हुए सुने जा रहे हैं, ‘अब हम किसी भी सूरत में मस्जिद नहीं खोएंगे। ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) थी और मस्जिद ही रहेगी। इन लोगों तक संदेश जाना जरूरी है। इनको पैगाम मिल जाएगा कि अब दोबारा मुसलमान मस्जिद खोने को तैयार नहीं है।’
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ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) में हो रहे सर्वे को लेकर ओवैसी (Owaisi) ने कहा था कि हमने बाबरी मस्जिद को खोया है। अब दूसरी मस्जिद को हरगिज नहीं खोएंगे। उन्होंने कहा कि देश में कभी कोई मुस्लिम वोट बैंक नहीं था और न ही होगा, अगर मुस्लिम सरकार बदल सकते तो भारतीय संसद में इतना कम मुस्लिम प्रतिनिधित्व नहीं होता। AIMIM प्रमुख ने इसी के साथ एक बार फिर बाबरी मस्जिद का मुद्दा उठाया और पूछा कि अगर हम हकूमत बदलने की हिम्मत रख सकते थे तो बाबरी पर यह फैसला कभी आता।