हिंदू धर्म में हर साल भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हलषष्ठी या हरछठ व्रत (Hal Chhath) रखा जाता है। इस साल उदयातिथि के अनुसार, हलषष्ठी व्रत आज यानि 5 सितंबर 2023, मंगलवार को रखा जाएगा। इसे ललई छठ, हलछठ, पिन्नी छठ, खमर छठ या ललही छठ के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हलछठ व्रत संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से संतान को संकटों से मुक्ति मिलती है।
हलषष्ठी (Hal Chhath) 2023 शुभ मुहूर्त-
षष्ठी तिथि 04 सितंबर को शाम 04 बजकर 41 मिनट से प्रारंभ होगी और 05 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट तक रहेगी।
पूजन के शुभ मुहूर्त–
ब्रह्म मुहूर्त- 04:30 ए एम से 05:15 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 04:53 ए एम से 06:01 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:54 ए एम से 12:45 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:26 पी एम से 03:16 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:39 पी एम से 07:01 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 06:39 पी एम से 07:47 पी एम
इस दिन मनाते हैं बलराम जयंती-
यह पर्व भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, बलराम जी शेषनाग के अवतार थे । वह गदायुद्ध में विशेष प्रवीण थे। दुर्योधन इनका ही शिष्य था। इस दिन हल पूजन का विशेष महत्व है। इस व्रत में हल से जोता गया कुछ भी नहीं खाया जाता है। व्रती महिलाएं भैंस के दूध, दही या घी का इस्तेमाल करती हैं। इस व्रत में महिलाएं प्रति पुत्र के हिसाब से छह छोटे मिट्टी के बर्तनों में पांच या सात भुने हुए अनाज या मेवा भरती हैं।
हलषष्ठी (Hal Chhath) पूजन विधि-
इस दिन महिलाएं महुआ पेड़ की डाली का दातून, स्नान कर व्रत रखती हैं। इस दिन व्रती महिलाएं कोई अनाज नहीं खाती हैं। सामने एक चौकी या पाटे पर गौरी-गणेश, कलश रखकर हलषष्ठी देवी की मूर्ति की पूजा करते हैं। इस पूजन की सामग्री में पचहर चांउर (बिना हल जुते हुए जमीन से उगा हुआ धान का चावल), महुआ के पत्ते, धान की लाई, भैंस का दूध-दही व घी आदि रखते हैं। बच्चों के खिलौने जैसे-भौरा, बाटी आदि भी रखा जाता है।