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मंगलवार को करें बजरंग बाण का पाठ, सारे संकट हर लेंगे बजरंग बली

Hanuman Janmotsav

hanuman

हिंदू धर्म में सप्ताह के सभी दिन किसी न किसी देवी या देवता को समर्पित किए गए हैं. इसी क्रम में मंगलवार का दिन पवन पुत्र हनुमान (Hanuman) को समर्पित है. भगवान शिव के रुद्रावतार और श्रीराम के अनन्य भक्त भगवान हनुमान की मंगलवार के दिन पूजा करने से व्यक्ति का सदैव मंगल होता है. यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में किसी प्रकार के संकटों में फंस जाता है या फिर अपने जीवन में किसी विशेष लक्ष्य की प्राप्ति करनी होती है, तो भोपाल के रहने वाले पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा, ज्योतिषी बताते हैं कि ऐसे में हनुमान जी के बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए.

बजरंग बाण (Bajrang Ban) का पाठ करने के फायदे

-धर्म ग्रंथों के अनुसार बजरंगबली के बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति को कभी गंभीर रोग नहीं होते. साथ ही वह हर प्रकार के रोग और अन्य दोषों से मुक्ति पाता है.

-ऐसा माना जाता है कि यदि आप किसी कार्य में निश्चित सफलता चाहते हैं, तो इसके लिए आपको मंगलवार के दिन बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए. इस पाठ को करने वाले व्यक्ति को कार्य में सफलता अवश्य प्राप्त होती है.

-यदि किसी व्यक्ति के शत्रु उस पर हावी हो रहे हैं तो ऐसे में व्यक्ति को बजरंग बाण का पाठ मंगलवार के दिन करना चाहिए. बजरंग बाण का पाठ करने से शत्रु पर विजय प्राप्त करने का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

-इसके अलावा मंगलवार के दिन बजरंग बाण का पाठ करने से अज्ञात भय दूर होता है और कार्यों में लम्बे समय से आ रही बाधाएं भी दूर होती हैं. साथ ही काफी दिनों से अटके हुए कार्य पूर्ण होते हैं.

-बजरंग बाण का हर मंगलवार के दिन नियमित पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि और उन्नति भी आती है.

बजरंग बाण

दोहा

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।

तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

चौपाई

जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।

जनके काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।

जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा।

आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका।

जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।

बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर यमकातर तोरा।

अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।

लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर मह भई।

अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी।

जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होइ दुख करहु निपाता।

जय गिरिधर जय जय सुखसागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर।

ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले।

गदा बज्र लै बैरिहि मारो। महारज प्रभु दास उबारो।

ओंकार हुंकार महाबीर धावो। वज्र गदा हनु बिलम्ब न लावो।

ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।

सत्य होहु हरि शपथ पायके। राम दूत धरु मारु जायके।

जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा।

पूजा जप त​प नेम अचारा। नहिं जानत हौं दा तुम्हारा।

वन उपवन मग ​गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।

पांय परौं कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।

जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकर सुवन वीर हनुमंता।

बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रति पालक।

भूत प्रेत पिशाच निशाचर, अग्नि बैताल काल मारीमर।

इन्हें मारु तोहिं सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।

जनक सुता हरिदास कहावो। ताकी सपथ विलंब न लावो।

जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुख नाशा।

चरण-शरण कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।

उठु-उठु चलु तोहिं राम दोहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई।

ओम चं चं चं चं चपल चलंता। ओम हनु हनु हनु हनु हनुमंता।

ओम हं हं हांक देत कपि चंचल। ओम सं सं सहमि पराने खल दल।

अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होत आनंद हमारो।

यहि बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहो फिर कौन उबारे।

पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करैं प्राण की।

यह बजरंग बाण जो जापै। तेहि ते भूत प्रेत सब कांपै।

धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तनु नहिं रहे कलेशा।

दोहा

प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान।

तेहि के कारज शकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।

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