अपने शैक्षणिक कार्यशैली और जादुई तरीके से गणित पढाने हेतु देश एवं दुनिया को अपना दीवाना बनाने वाले वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव के जन्मदिन पर पूरे देश- विदेश से उनके सफल शिष्यो सहित उनके प्रसंशको ने उन्हें शुभकामनाये संदेश दे रहे है।
उनकी कड़ी मेहनत और गणित पढ़ाने का उत्साह ने उन्हें आज लाखो स्टूडेंट्स का रोल मॉडल बना दिया। बिहार के रोहतास जिले के बिक्रमगंज जैसे छोटे शहर के आरके श्रीवास्तव संघर्ष एवम मेहनत के बलपर देश- विदेश में अपने पहचान बनाने वाले शिक्षकों के रूप में जीता-जागता उदाहरण हैं।
आरके श्रीवास्तव के संघर्ष और सफलता की कहानी जितनी आश्चर्यजनक है, उतनी ही रोमांचक भी, जितनी अविश्वसनीय है, उतनी ही सम्मोहक भी। आरके श्रीवास्तव का आज 3 जून को जन्मदिन है। मूलतः आरके श्रीवास्तवा ( रजनी कांत श्रीवास्तवा) जमोढी ( नटवार) निवासी अपने पिता पारस नाथ लाल और बड़े भाई शिवकुमार की असामयिक मृत्यु के बाद भी गरीब होनहारों को कामयाबी तक पहुचाने में लगे हुए है। आज आरके श्रीवास्तव के कामयाबी की धुन देश-विदेश में भी बज चुके है।
आरके श्रीवास्तव कायस्थ परिवार से संबंध रखते हैं। पांच वर्ष के उम्र में पिता पारस नाथ लाल के गुजरने के बाद श्रीवास्तव का जीवन काफी संघर्षो से गुजरा।
आरती देवी (आरके श्रीवास्तव की माँ) —-
पांच वर्ष के उम्र में पिता के गुजरने के बाद आरती देवी ने काफी गरीबी के दौर से गुजरते हुए अपने बेटे आरके श्रीवास्तव को पढ़ा लिखा एक काबिल इंसान बनाया।आरके श्रीवास्तव बताते है कि माँ के आशिर्वाद के बिना कोई भी उपलब्धि को पाना असंभव
जिम्मेदारी कब किसको किस उम्र मे निभाना पड़े। यह सब समय का चक्र ही बता सकता है। हर अंधेरे के बाद उजाला जरूर होता है। पति पारस नाथ लाल के गुजरने के बाद कैसे आरती देवी ने अपने संघर्ष के बल पर अपने बेटे- बेटियो को पढ़ाया लिखाया ।
आरके श्रीवास्तव बताते है कि पाॅच वर्ष के उम्र मे ही पिता को खोने का गम अभी दिल और मन दोनों से मिटा भी नही था की पिता तुल्य इकलौते बड़े भाई भी इस दुनिया को छोड़ चले गये। पापा का चेहरा तो हमे याद भी नही बस कभी रात को सोते वक्त सोचता हूँ तो धुॅधला धुधला सा दिखाई देता है। बड़े भाई शिव कुमार श्रीवास्तव अपने बेटे बेटियो से भी अधिक प्यार आरके श्रीवास्तव से करते थे।
बचपन मे पिता के गुजरने के बाद श्रीवास्तव के बड़े भाई का उम्र भी खेलने कूदने का था परंतु जिम्मेदारी कब किसको किस उम्र मे निभाना पड़े, यह सब समय का चक्र ही बता सकता है। श्रीवास्तव के बड़े भाई ने पिता के गुजरने के बाद बहुत कम उम्र में परिवार चलाने की जिम्मेवारी काफी संघर्ष कर बखूबी निभाया। आरके श्रीवास्तव के लिए उनके भाई का बहुत बड़ा सपना था कि उनका भाई पढ़ लिखकर बड़ा इंसान बने। वर्ष 2014 में बड़े भाई के आकस्मिक निधन के बाद श्रीवास्तव पूरे तरह से टूट चुके थे। श्रीवास्तव पर बहुत कम उम्र में ही तीन भतीजियों की शादी, भतीजे को पढाने लिखाने की जिम्मेवारी आ गया। लेकिन एक कहावत है कि हर अंधेरे के बाद उजाला जरूर होता है।
भारत के Real Heroes है ये बिहारी, संवार रहे देश का भविष्य
धीरे धीरे समय बीतते गया पहले से भी अधिक शैक्षणिक मेहनत आरके श्रीवास्तव करने लगे । आज देश- विदेश में आरके श्रीवास्तव के नाईट क्लासेज प्रारूप का चर्चा होता है। वर्ष 2017 में आरके श्रीवास्तव ने अपने बड़ी भतीजी का शादी एक पिता की भूमिका के रूप में शिक्षित सम्पन परिवार में किया। लेकिन एक कहावत है कि हर अंधेरे के बाद उजाला जरूर होता है, कहते है कि कागज अपनी किस्मत से उड़ता है, लेकिन पतंग अपनी काबिलियत से उड़ती है। दोस्तो आरके श्रीवास्तव को पतंग कहा जा सकता है। क्योंकि इन्होंने अपनी मेहनत के बल पर मिल रहे कामयाबी से सबका दिल जीत लिया।
आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली एवम उपलब्धिया—-
बिहार का मान सम्मान को विश्व पटल पर बढ़ाने वाले मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव है हजारो स्टूडेंट्स के रोल मॉडल है। सैकड़ो गरीब प्रतिभाओ के सपने को आईआईटी, एनआईटी, एनडीए, बीसीईसीई में सफलता दिलाकर लगा चुके है पंख। अमेरिकी विवि डॉक्टरेट की मानद उपाधि से कर चुका है सम्मानित।
पिछले 10 वर्षों से गरीब बच्चो को गणित पढ़ा रहा एक नौजवान
प्रतियोगिता का दौर, गिरता शिक्षा स्तर और स्टूडेंट्स की मजबूरी– शायद इन्ही कारणों से कोचिंग संस्थानों का बाजार गर्म है। लेकिन व्यवसीयकता के इस दौर में बिहार के युवा गणितज्ञ मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव के लिए शिक्षा कोई ‘बजारू’ चीज नही है। वे छात्रों का भविष्य सवारने और कोचिंग संस्थानों को करारा जवाब देने के लिए पिछले 10 वर्षो से निःशुल्क शिक्षा दे रहे है।
आमतौर पर शिक्षा स्तर का गिरावट का सबसे बड़ा खामियाजा इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसे तकनीकी विषयो की पढ़ाई करने वाले छात्र- छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है। जिन्हें कोचिंग के लिए लाखों रुपये देने पड़ रहे है। पिछले कई वर्षो से आरके श्रीवास्तव ने शिविर लगाकर इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे हजारो गरीब स्टूडेंट्स को नाईट क्लासेज प्रारूप के माध्यम से पूरे रात लगातार 12 घण्टे तक गणित के सवाल हल करने की नई -नई तकनीको और बारीकियों की जानकारी दे रहे। आरके श्रीवास्तव के नाईट क्लासेज प्रारूप के तहत लगातार 12 घण्टे निःशुल्क शिक्षा देने हेतु इनका नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड एवम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हो चुका है।
उनका दावा है कि इस शिविर में पढ़ाई करने वाले में से प्रत्येक वर्ष 60% से अधिक छात्र-छात्राएं आईआईटी, एनआईटी, एनडीए सहित तकनीकी प्रवेश परीक्षाओं में सफल होते है। छात्रों के इस नाईट क्लासेज शिविर की ओर आकर्षित होने के चलते हजारो स्टूडेंट्स के रोल मॉडल बन चुके है। मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव न सिर्फ बिहार में लोकप्रिय है बल्कि अपने गणित पढ़ाने के जादुई तरीके एवम गणितीय शोध के लिए प्रायः सुर्खियों में भी रहते है। क्लासरूम प्रोग्राम में पाइथागोरस प्रमेय को 50 से ज्यादा तरीको से सिद्ध कर आरके श्रीवास्तव ने गणित विरादरी में काफी वाहवाही लुटा। गूगल बॉय कौटिल्य पंडित के गुरु के रूप में भी देश इन्हें जानता है।
फिलहाल वह गरीब छात्रों को निःशुल्क शिक्षा देने में जुटे हुए है। उनके इस प्रयास से प्रभावित होकर अलग- अलग क्षेत्रों के उच्चे ओहदे के कुछ लोगो ने शिविर में अतिथि शिक्षक के बतौर छात्र- छात्राओ को पढ़ाया। बकौल आरके श्रीवास्तव कहते है की गणित की शिक्षा देना मेरा पेशा नही बल्कि शौक है।
आपको एक ऐसे ऑटो रिक्शा वाले के अनोखे प्यार के बारे में बताने जा रहे है जिसके गणित के प्यार ने सिर्फ 1 रूपया में बना दिया 540 स्टूडेंट्स को इंजीनियर। बिहार राज्य के रोहतास जिले में रहने वाले शिक्षक आरके श्रीवास्तव न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया के इंजीनियरिंग स्टुडेंट्स के बीच एक चर्चित नाम हैं। इनका ‘1 रूपया गुरु दक्षिणा’ प्रोग्राम विश्व प्रसिद्ध है। इसके तहत वे आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को 1 रूपया गुरु दक्षिणा लेकर इंजीनियर बना रहे। आरके श्रीवास्तव की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उनके शैक्षणिक कार्यशैली के तहत आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को 1 रूपया में इंजीनियर बनाकर राष्ट्र निर्माण मे योगदान के लिये प्रशंसा कर चुके है।
1 रूपया गुरु दक्षिणा वाले आरके श्रीवास्तव
आपको वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर बिहारी गुरु आरके श्रीवास्तव के गणित के प्रति प्रेम के बारे में बताते है। कभी गरीबी के कारण ऑटो रिक्शा से होने वाले इनकम से परिवार का भरण पोषण होता था, अब सैकङो आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई प्रवेश परीक्षा में सफलता दिलाकर उनके सपनो को पंख लगा चुके है। 450 क्लास से अधिक बार पूरे रात लगातार 12 घंटे बिना रुके स्टूडेंट्स को गणित का गुर सिखाना कोई चमत्कार से कम नहीं। पूरे कॉन्सट्रेशन के साथ पूरे रात गणित पढाना आरके श्रीवास्तव के गणित के प्रति अद्भूत प्रेम को दर्शाता है ।