Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा में दूसरी बार उपसभापति बने, मनोज झा को हराया

12 विपक्षी दलों का अविश्वास प्रस्ताव No confidence motion of 12 opposition parties

12 विपक्षी दलों का अविश्वास प्रस्ताव

नई दिल्ली। एनडीए उम्मीदवार हरिवंश नारायण सिंह लगातार दूसरी बार राज्यसभा में उपसभापति चुने गए हैं। राज्यसभा में उनका मुकाबला विपक्ष के उम्मीदवार मनोज झा से था। ध्वनि मत से हुए मतदान में हरिवंश ने जीत हासिल की है।

जेपी नड्डा ने हरिवंश को उपसभापति बनाने का प्रस्ताव पेश किया तो विपक्ष की ओर से गुलाम नबी आजाद ने मनोज झा के नाम का प्रस्ताव रखा गया था। जेडीयू की तरफ से राज्यसभा सदस्य हरिवंश और आरजेडी नेता मनोज झा के बीच हुए इस मुकाबले को आगामी बिहार चुनाव से पहले दिलचस्पी से देखा जा रहा है।

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह कोरोना पॉजिटिव, पीजीआई लखनऊ में भर्ती

हरिवंश सामाजिक सरोकार की पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं। हरिवंश राजनीति में जयप्रकाश नारायण के आदर्शों से भी प्रेरित हैं। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सिताब दियारा गांव में 30 जून, 1956 को जन्मे हरिवंश को जयप्रकाश नारायण (जेपी) ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया।

उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए और पत्रकारिता में डिप्लोमा की पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान ही मुंबई में उनका ‘टाइम्स ऑफ इंडिया समूह में प्रशिक्षु पत्रकार के रूप में 1977-78 में चयन हुआ। वह टाइम्स समूह की साप्ताहिक पत्रिका ‘धर्मयुग में 1981 तक उपसंपादक रहे। हरिवंश 1981-84 तक हैदराबाद एवं पटना में बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी की। 1984 में उन्होंने पत्रकारिता में वापसी की और 1989 अक्तूबर तक आनंद बाजार पत्रिका समूह से प्रकाशित ‘रविवार साप्ताहिक पत्रिका में सहायक संपादक रहे।

कोरोना मरीजों के इलाज में किसी प्रकार की कोई कोताही न बरती जाए : सूर्य प्रताप शाही

हरिवंश ने वर्ष 1990-91 के कुछ महीनों तक तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के अतिरिक्त सूचना सलाहकार (संयुक्त सचिव) के रूप में प्रधानमंत्री कार्यालय में भी काम किया। ढाई दशक से अधिक समय तक ‘प्रभात खबर के प्रधान संपादक रहे हरिवंश को नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने राज्यसभा में भेजा। उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार का बेहद करीबी माना जाता है।

हरिवंश ने कई पुस्तकें लिखी और संपादित की हैं। इनमें ‘दिसुम मुक्तगाथा और सृजन के सपने, ‘जोहार झारखंड, ‘झारखंड अस्मिता के आयाम, ‘झारखंड सुशासन अभी भी संभावना है, ‘बिहार रास्ते की तलाश’ शामिल हैं।

Exit mobile version