हरियाली तीज (Hariyali Teej) वण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। यह व्रत सुहागनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। सुहागने इस दिन अपने पति की लंबी उम्र की लिए व्रत रखती हैं, तो वही कुंवारी कन्याएं भी योग्य वर की प्राप्ति हेतु यह व्रत रखती हैं।हरियाली तीज के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना की जाती है। मान्यता है कि इसी दिन पर माता पार्वती ने अपने 108 वें जन्म में शिव जी को पति के रूप में प्राप्त किया था।
हरियाली तीज (Hariyali Teej) को प्रकृति से जोड़कर भी देखा जाता है। माना जाता है की प्रकृति जैसे सावन में उर्वरक हो जाती है। इसी तरह स्त्रियां भी जीवन के कई पड़ावों से गुजरती हैं। इस त्यौहार में प्रकृति की तुलना नारी से की गई है। इस दिन महिलाएं हरे कपड़े पहनती हैं, लोकगीत गाती हैं, पारंपरिक नृत्य करती हैं, साथ ही झूला झूलती हैं। मान्यता है कि यह स्त्री को प्रकृति से जोड़ने की का पर्व है।
कई शुभ संयोगों के साथ तीज
इस बार यह व्रत कई शुभ संयोगों के साथ बन रहा है। हरियाली तीज पर तीन विशेष संयोग बन रहे हैं। गज लक्ष्मी योग, त्रिग्रही योग और साथ में रवि योग का भी साथ मिल रहा है।
हरियाली तीज (Hariyali Teej) क्या है?
हरियाली तीज (Hariyali Teej) श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व मुख्यत सुहागिन स्त्रियों द्वारा मनाया जाता है, जो पति की लंबी उम्र, प्रेम और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना से व्रत रखती हैं।
गजलक्ष्मी योग क्या है?
गजलक्ष्मी योग एक शुभ ज्योतिषीय योग है जो चंद्रमा की स्थिति के आधार पर बनता है। यह योग तब बनता है जब चंद्रमा स्वग्रही, मूल त्रिकोण में हो और शुभ ग्रहों (जैसे गुरु, शुक्र) की दृष्टि या युति बन रही हो। गुरु और शुक्र का मिथुन राशि में होना धन, वैभव का कारक माना जाता है। यह योग धन, वैभव, समृद्धि, सुख-संपत्ति और लक्ष्मी की प्राप्ति का सूचक होता है। इसे श्री योग भी कहा जाता है।
हरियाली तीज (Hariyali Teej) पर गजलक्ष्मी योग का महत्व
दुगुना पुण्यफल
जब हरियाली तीज जैसे सौभाग्यशाली व्रत के पर्व पर गजलक्ष्मी योग बनता है, तो इसका फल अत्यधिक शुभ होता है।
धन-समृद्धि की प्राप्ति
इस योग में किए गए व्रत, पूजन, और दान विशेष फलदायी होते हैं, और इससे घर में लक्ष्मी का स्थायी रूप से वास होता है।
सौभाग्यवती योग
सुहागिन स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
मनोकामना पूर्ति
जो महिलाएं संतान, सुख या संकल्प पूर्ति के लिए व्रत करती हैं, उन्हें विशेष लाभ मिलता है।
इस दिन कैसे करें व्रत-पूजा ?
इस दिन यदि स्वास्थ्य अनुकूल हो तो स्त्रियां निर्जल व्रत रखें।
भगवान शिव-पार्वती का पूजन विधिपूर्वक पूजन करें।
माता पार्वती को सुहाग सामग्री अर्पित करें।
इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य दें।
ब्राह्मण या कन्याओं को भोजन कराएं और साथ ही दान भी करें।