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मनचाहा वर और अखंड सौभाग्य के लिए रखा जाता है हरियाली तीज, जानिए इसका महत्व

Hariyali Teej

Hariyali Teej

हरियाली तीज या श्रावणी तीज का उत्सव सावन महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार हरियाली तीज 8 अगस्त को है।

माना जाता है कि इसी दिन मां पार्वती ने भगवान शिव को कठोर तपस्या करके प्राप्त किया था। कुवांरी लड़कियां यह व्रत मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं और विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व और नियम।

हरियाली तीज का महत्व

इस दिन महिलाएं दिनभर उपवास रखती हैं और पति सहित समस्त घर के सुख, समृद्धि की कामना करती हैं। इस दिन महिलाओं के झूला झूलने का भी विशेष महत्व रहता है। सावन मास में आने के कारण इसे हरियाली तीज कहा जाता है। क्योंकि सावन के महीने में हर जगह हरियाली छाई रहती है।

सुहागन स्त्रियों के लिए इस व्रत का खास महत्व होता है। व्रत रखने वाली विवाहित महिलाएं इस दिन दुल्हन की तरह सजती हैं। मान्यता है कि इस दिन को देवी पार्वती ने महिलाओं के लिए शुभ घोषित किया है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा सच्चे मन की जाए तो उसे सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त है।

हरियाली तीज की परंपरा

इस व्रत में सुहाग का सामान, मेहंदी और आल्ता प्रमुख होता है।

इस पर्व के दिन शादीशुदा महिलाओं के मायके से उनके लिए श्रंगार का सामान आता है।

इस दिन महिलाएं मिट्टी या बालू से मां पार्वती और शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करती हैं।

पूजा के बाद मिट्टी की इन मूर्तियों को नदी या किसी पवित्र जलाशय में प्रवाहित करते हैं।

इस व्रत के दौरान पूरे दिन मां पार्वती और भगवान शिव का ही ध्यान करना चाहिए।

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