हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं. सोलह श्रृंगार अखंड सौभाग्य की निशानी होती है. इसलिए महिलाएं हरियाली तीज का साल भर इंतजार करती हैं. हरियाली तीज पर बारिश होती है और वर्षा ऋतु की प्रसन्नता धरा पर हरियाली के रूप में दिखाई देती हैं. हरियाली नव सृजन की निशानी है.
भगवान शिव को नव कल्याण और नव सृजन का जनक कहा जाता है. हरियाली तीज सावन महीने का महत्वपूर्ण पर्व है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. इस बार हरियाली तीज 11 अगस्त यानी कल मनाई जाएगी. सुहागिन महिलाओं के लिए यह त्योहार सुखद दांपत्य जीवन के लिए प्रेरित करता है. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं.
हरियाली तीज की पूजा सामग्री
गीली काली मिट्टी या बालू रेत, बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, हरी चूड़ियां, हरे वस्त्र, धतूरे का फल एवं फूल, अकांव का फूल, तुलसी, आम की मंजरी, जनैव, नाड़ा, सभी प्रकार के फल एवं फूल पत्ते, श्रीफल, मिट्टी का कलश, लाल अबीर, चन्दन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, फूलों की लड़ी, फूलों की माला और कुछ फूल.
सुहागिन महिलाओं के लिए खास होती है हरियाली तीज
हरियाली तीज का त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत खास होता है. इस दिन सुहागन स्त्रियां व्रत रखती हैं. मां पार्वती और शिव जी की पूजा करके अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य की प्रार्थना करती हैं. इस दिन महिलाएं बागों में झूला झूलती हैं और अपने हाथों पर मेहंदी भी रचाती हैं.
हरियाली तीज में सिंघारे का महत्व
हरियाली तीज पर्व पर मेहंदी, झूला और सुहाग-चिह्न सिंघारे का विशेष महत्व होता है. इस विशेष अवसर पर नवविवाहिताओं को उनके ससुराल से मायके बुलाने की परंपरा है. वे अपने साथ सिंघारा लाती है. साथ ही मायके से कपड़े, गहने, सुहाग का सामान, मिठाई और मेहंदी भेजी जाती है, जिसे तीज का भेंट माना जाता है. गांव-कस्बों में जगह-जगह झूले लगाए जाते हैं. कजरी गीत गाती हुई महिलाएं सामूहिक रूप से झूला झूलती हैं.