नई दिल्ली। किसान आंदोलन को दिशा दिखा रहे अलग-अलग संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच हुई तीसरी बैठक भी बिना किसी नतीजे के खत्म हुई। सरकार के कई शीर्ष नेताओं ने पहले ही इस बैठक के बेनतीजा रहने की आशंका जताई थी। योगेंद्र यादव के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी सहित दो केंद्रीय मंत्रियों ने एक दिन पहले जो कुछ कहा था, बैठक का परिणाम तो तभी पता चल गया था। सूत्रों के मुताबिक किसान आंदोलन को लेकर बहुत जल्द एक बड़ा खुलासा हो सकता है। आंदोलन पर बहुत करीब से नजर रख रहीं केंद्रीय एजेंसियों की मदद से सरकार यह साबित करने के प्रयासों में जुटी है कि ये आंदोलन हाईजैक हुआ है। फोन टेपिंग के जाल में प्रमुख किसान नेता, विपक्षी दल, एक राज्य के बड़े नौकरशाह और कई दूसरे संगठनों के प्रतिनिधि फंस सकते हैं।
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किसानों के विरोध-प्रदर्शन के बीच केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने मंगलवार को कहा था, प्रदर्शन करने वालों में कई किसान नहीं दिखते हैं। उन्होंने इस प्रदर्शन के पीछे विपक्ष का हाथ होने का आरोप लगाया। जिन्हें कृषि कानूनों से समस्या है, वे कोई और लोग हैं। इसमें विपक्ष के साथ-साथ उन लोगों का भी हाथ है, जिन्हें कमीशन मिलता है। इससे पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री भी कह चुके हैं कि इस आंदोलन पर वे समय आने पर खुलासा करेंगे।
सीआईडी ने तैयार की रिपोर्ट
चूंकि पंजाब के सभी किसान हरियाणा के रास्ते दिल्ली पहुंचे हैं। एनआईए के पूर्व आईजी रहे और कुछ माह पहले ही अपने मूल कैडर हरियाणा में लौटे आलोक मित्तल को सीआईडी का चीफ बनाया गया है। सूत्र बताते हैं कि सीआईडी ने किसान आंदोलन से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। इसे केंद्रीय एजेंसियों के बीच साझा किया गया है। दिल्ली बॉर्डर पर केंद्रीय एजेंसियां अपने स्तर पर आंदोलन से जुड़ी खुफिया जानकारी एकत्रित कर रही हैं। आंदोलन में खुफिया एजेंसियों की बड़े स्तर पर हो रही ताकझांक को लेकर योगेंद्र यादव कहते हैं, हमें यह अंदेशा पहले से ही था। सरकार चाहती है कि किसी भी तरह से इस आंदोलन को बदनाम कर दिया जाए। मैंने खुद सरकार से आग्रह किया था कि किसानों के साथ शांतिपूर्ण माहौल में बातचीत करनी है तो गृह मंत्रालय और खुफिया एजेंसी को दूर रखा जाए।
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दूसरी तरफ केंद्र सरकार इस आंदोलन की हाईजैक थ्योरी को जमीन पर उतारने का प्रयास कर रही है। हो सकता है कि इस बाबत जल्द ही कोई खुलासा हो। केंद्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट में ऐसे संदिग्ध लोगों की एक लंबी-चौड़ी सूची तैयार की है, जो किसान आंदोलन में शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि बुराड़ी तक किसानों को ले जाने के लिए सरकार ने जो तीर चलाया था, उसमें एक साथ दो मकसद साधने का लक्ष्य रखा गया था। पहला, किसान वहां आ जाएं और दूसरा, किसान नेताओं के बीच इस मसले पर दूरी बन जाए।