इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में बुधवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने बहुचर्चित हाथरस मामले में जांच के लिए और समय मांगा है।
जांच एजेंसी ने न्यायालय से कहा है कि केस की जांच को समाप्त करने में अभी और समय लगेगा और संभवतः 18 दिसंबर तक चार्जशीट तैयार हो जाएगी। उन्होने कहा कि स्टेटस रिपोर्ट अभी दाखिल नहीं की जा सकती। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 जनवरी की तारीख नियत की है।
न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ ने हाथरस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर ‘गरिमापूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार के अधिकार शीर्षक से जनहित याचिका दर्ज किया है। इस केस की पहले उच्चतम न्यायालय में भी सुनवाई हुई थी, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने सभी मामलों की सुनवाई इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में ही होने का आदेश दिया था।
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इससे पहले 25 नवंबर को हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में सीबीआई ने हाथरस केस में विवेचना की प्रगति रिपोर्ट पेश की थी। सुनवाई के दौरान सीबीआइ ने कोर्ट को बताया था कि 10 दिसंबर तक मामले की जांच पूरी होने की संभावना है। जांच में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि फोरेंसिक रिपोर्ट आने में विलंब हो रहा है। सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील एसवी राजू और अपर महाधिवक्ता वीके शाही ने कहा था कि कुछ राजनीतिक दल हाथरस के डीएम को हटवाना चाहते हैं, जबकि उन्होंने सभी निर्णय सद्भावना में लिए थे। हालांकि कोर्ट ने सरकार के जवाब से खिन्नता जाहिर की थी।
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ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के चंदपा इलाके के बूलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को चार लोगों ने कथित रूप से 19 साल की दलित युवती से सामूहिक दुष्कर्म किया था। इस दौरान लड़की को गंभीर चोट आई थी। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान 29 सितंबर को पीड़िता की मौत हो गई थी। पीड़िता की 30 सितंबर को रात के अंधेरे में उसके घर के पास ही अंत्येष्टि कर दी गई थी।
परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया, जबकि स्थानीय पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि परिवार की इच्छा के मुताबिक ही अंतिम संस्कार किया गया।