नयी दिल्ली। देश में मधुमेह की बढ़ती समस्या को देखते हुए वैज्ञानिकों ने जामुन वाइन का विकास कर लिया है जो न केवल सालों भर उपलब्ध रहेगा बल्कि इस बीमारी को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। जामुन के फल और गुठली को मधुमेह रोगियों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है । मधुमेह रोगियों की बढ़ती संख्या के साथ इस फल की मांग भी बढ़ रही है।
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जामुन बाजार में सीमित समय तक ही उपलब्ध रहता है परन्तु इसके फलों से बनी वाइन, जूस, बार, सिरका, जैली जैसे मूल्य वर्धित उत्पाद पूरे साल अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। मूल्य वर्धित उत्पाद ताजे फल के समान ही पौष्टिक, स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। जामुन को कई स्वास्थ्य और औषधीय लाभों के कारण “सुपर फ्रूट” के रूप में भी जाना जाता है। यह फल पेट दर्द और मूत्र रोग को राहत देने के लिए उपयोगी माना जाता है। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान लखनऊ के निदेशक शैलेन्द्र राजन के अनुसार बायोएक्टिव यौगिक कैंसर, हृदय रोग, मधुमेंह, अस्थमा और गठिया में प्रभावी हैं।
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जामुन के फल एंटी-ऑक्सीडेंट के धनी हैं। मधुमेह और कैंसर रोधी गुणों के कारण इसके महत्व को विकसित देशों ने भी स्वीकार किया है। जामुन के मूल्य संवर्धित प्रोडक्ट्स में वाइन का विशेष महत्व उद्यमियों द्वारा इंगित किया गया है क्योंकि औषधीय गुणों के अतिरिक्त जामुन वाइन स्वाद एवं सुगंध में भी बेहतरीन है। जामुन के फल सामान्य तापक्रम पर जल्दी खराब हो जाते हैं परंतु मूल्यवान बायोएक्टिव यौगिकों से भरपूर होने के कारण प्रसंस्करण के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। कई गैर-किण्वित उत्पादों की अतिरिक्त ब्रांडी, डिस्टिल्ड शराब और वाइन जैसे किण्वित उत्पाद काफी संख्या में बनाए जा रहे हैं और लोकप्रिय भी हो रहे हैं।
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जामुन के फलों में किण्वन के लिए आवश्यक पर्याप्त शर्करा पाई जाती है इसलिए दुनिया के कई देशों में वाइन बनाने के लिए लिए एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में इसका उपयोग किया जा रहा है। जामुन के मूल्यवर्धक उत्पादों विशेषकर वाइन औषधीय गुण से भरपूर होते हैं। जामुन अपने मधुमेह रोधी गुणों के लिए मशहूर है। यह जाम्बोलिन नामक ग्लाइकोसाइड की उपस्थिति के कारण होता है। जाम्बोलिन अग्न्याशय द्वारा इंसुलिन स्राव में सुधार करता है। रक्त में शर्करा का अधिक स्तर होने पर जामुन का एक अन्य महत्वपूर्ण घटक एल्कॉजिक एसिड स्टार्च के शर्करा में रूपांतरण को नियंत्रित करने में सहायक है।