नई दिल्ली। राजस्थान में पिछले 14 दिन से चल रहे सियासी संकट का आज फाइनल है। स्पीकर की तरफ से कांग्रेस के बागी 19 विधायकों को जारी नोटिस के खिलाफ पायलट खेमे की याचिका पर हाई कोर्ट थोड़ी देर में अपना फैसला सुनाएगा। इस बीच, सचिन पायलट गुट की अर्जी को हाई कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। मामले में केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाने का आग्रह किया गया था।
पायलट गुल की तरफ से हाई कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा था कि है कि याचिकाकर्ता ने संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा-2-ए की संवैधानिकता को चुनौती दी है, इसलिए केंद्र सरकार को इसमें पार्टी बनाया जाए। स्पीकर की ओर से सचिन पायलट सहित 19 बागी विधायकों को जारी नोटिस की वैधानिकता को लेकर पायलट खेमा हाईकोर्ट पहुंचा था। 21 जुलाई को कोर्ट ने सुनवाई पूरी करते हुए विधानसभा स्पीकर से 24 जुलाई तक अयोग्यता कार्यवाही न करने का निर्देश दिया था।
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राजस्थान के सियासी संघषर्ष में विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा। जोशी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सचिन पायलट और 18 अन्य बागी कांग्रेस विधायकों के मामले में हाई कोर्ट के फैसला सुनाने पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया। हालांकि यह जरूर कहा कि हाई कोर्ट का जो भी फैसला होगा वह सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा। अदालत सोमवार को इस मामले में विस्तृत सुनवाई करेगी।
‘वेट एंड वॉच’ की भूमिका में भाजपा
राजस्थान में चल रहे सियासी घटनाक्रम में राजस्थान भाजपा ‘वेट एंड वॉच’ की भूमिका में है। पार्टी के नेता बैठकें तो कर रहे हैं लेकिन सबको कोर्ट के फैसले और विधानसभा सत्र का ही इंतजार है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जब तक कोर्ट का फैसला और विधानसभा सत्र की बात स्पष्ट नहीं होती, तब तक सब कुछ अनिश्चित है। पार्टी इस मामले में आलाकमान के निर्देशों पर भी निर्भर है। वहां से मिले निर्देशों के बाद ही पार्टी आगे बढ़ेगी। विधायक दल की बैठक के बारे में भी अभी कुछ तय नहीं है।
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इस बीच राजस्थान में जांच एजेंसियों की सक्रियता भी बढ़ गई है। केंद्र सरकार की ओर से आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआइ राज्य में सक्रिय हैं। ये एजेंसियां कहने को तो अलग मामलों की जांच कर रही हैं लेकिन इनके तार कहीं न कहीं राजस्थान के राजनीतिक लोगों से जुड़ रहे हैं। वहीं राज्य की ओर से भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) भी सक्रिय है जो सीधे तौर पर विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े मामलों की जांच कर रहा है।