इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने शनिवार को प्रेमी के सामने गर्लफ्रेंड के साथ गैंगरेप केस में आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी। इस दौरान कोर्ट ने कहा, बालिग की सहमति से सेक्स भले ही अपराध नहीं है। लेकिन यह अनैतिक, सिद्धांतहीन और भारतीय सामाजिक मूल्यों के खिलाफ है।
कोर्ट ने कहा, अगर कोई व्यक्ति अपने आप को लड़की का बॉयफ्रेंड बताता है, तो उसका यह कर्तव्य है कि वह उसे सह-आरोपियों द्वारा गैंगरेप से बचाए।
कोर्ट ने कहा, अगर पीड़िता याचिकाकर्ता की गर्लफ्रेंड है, तब उसी क्षण उसका कर्तव्य हो जाता है कि वह उसकी मान-मर्यादा व सम्मान की रक्षा करे। कोर्ट ने कहा कि घटना के समय याचिकाकर्ता का आचरण निंदनीय है। वह बॉयफ्रेंड कहलाने के लायक नहीं है। उसके सामने प्रेमिका के साथ गैंगरेप किया जा रहा था, वह चुपचाप देख रहा था।
कोर्ट ने कहा, गर्लफ्रेंड के शरीर और आत्मा को वहशी गिद्धों की तरह नोचते रहे और उसने बिल्कुल भी विरोध नहीं किया। याचिकाकर्ता के इस व्यवहार को देखते हुए जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने बॉयफ्रेंड राजू को जमानत देने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा, निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि सह आरोपियों के साथ राजू का कोई लेना देना नहीं था।
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पीड़िता का आरोप है कि 19 फरवरी को वह सिलाई केंद्र गई थी। उसने सुबह 8 बजे बॉयफ्रेंड राजू को फोन किया, वह उससे मिलना चाहती थी। दोनों नदी के किनारे पर मिले। इसके कुछ देर बात वहां तीन लोग आए। उन्होंने राजू की पिटाई की और उसका मोबाइल फोन छीन लिया और पीड़िता के साथ गैंगरेप किया। जबकि दोनों की मुलाकात के बारे में सिर्फ उन्हें ही पता था।
कोर्ट ने जमानत देने से इनकार करते हुए कहा, यह निश्चितता के साथ नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ता का आरोपियों से कोई संबंध नहीं है। ये अपराध में शामिल हो सकता है। 20 फरवरी 2021 को चार लोगों के खिलाफ कौशांबी में मामला दर्ज कराया गया था।