नई दिल्ली| स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का प्रीमियम कंपनियों ने बढ़ाना शुरु कर दिया है। कंपनियों ने यह कदम बीमा नियामक इरडा द्वारा स्वास्थ्य बीमा में मानकीकरण के बाद उठाया है। बीमा नियामक ने कई सेवाओं और बीमारियों को मानक कवर देने को कहा है। ऐसे में कंपनियों ने खर्च में बढ़ोत्तरी का बोझ उपभोक्ताओं पर डालना शुरू कर दिया है। हालांकि, नियामक ने इसके लिए कुछ सीमा तय की हुई है। ऐसे में आप नई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी ले रहे हैं या रिन्यू करा रहे हैं तो कुछ इसकी शर्तों पर जरूर गौर करें
बीमा नियामक ने कंपनियों को पहले साल प्रीमियम में बढ़ोतरी के लिए एक सीमा तय की है। आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस के चीफ अंडरराइटिंग संजय दत्ता ने कहा कि इरडा ने पहले साल पांच फीसदी तक प्रीमियम बढ़ाने की अनुमति दी है। इसके बाद प्रीमियम आय और अन्य शर्तों के आधार पर आकलन होगा।
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उन्होंने कहा कि फिलहाल स्वास्थ्य बीमा ज्यादा महंगा नहीं हो सकता है। साथ ही यह भी कहा कि इरडा के मानकों के आधार पर जिस तरह पॉलिसी में कई बीमारियों और सेवाओॆं को कवर दिया गया है उसके मुकाबले यह बढ़ोतरी मामूली है।
इस तरह की खबरें चल रही हैं कि इरडा के निर्देश के बाद बीमा कंपनियां प्रीमियम दोगुना महंगा कर देंगी। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह सही नहीं है। उनका कहना है कि कुछ कंपनियां 20 से 30 फीसदी तक ज्यादा प्रीमियम वसूल रही हैं लेकिन वह अलग शर्तों के तहत ऐसा कर रही हैं।
आमतौर पर, बुनियादी स्वास्थ्य बीमा यानी बेसिक पॉलिसियों के लिए चुनी गई बीमा राशि तीन लाख रुपये से पांच लाख रुपये के बीच होती है। इस राशि से परे अगर कोई चिकित्सा खर्च आ जाये तो यह किसी की मेहनत की कमाई पर पानी फेर देता है। जब बुनियादी स्वास्थ्य पॉलिसी से अधिकतम भुगतान की सीमा समाप्त हो जाती है तो टॉप अप या सुपर टॉप अप स्वास्थ्य बीमा योजनाएं एक अतिरिक्त सुरक्षा कवच साबित होती हैं।