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इतने साल तक के स्वस्थ बच्चों को नहीं लगेगी कोरोना की वैक्सीन, जानें पूरा मामला

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ब्रिटेन की वैक्सीन एडवाइजरी बॉडी JCVI ने 12 से 15 साल के स्वस्थ बच्चों को कोरोना का टीका लगाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। इस समय दुनिया भर में बच्चों पर कोरोना के खतरे का अंदेशा जताया जा रहा है। भारत में भी माना जा रहा है कि अगली लहर सबसे ज्यादा बच्चों को ही प्रभावित करेगी। ऐसे में ब्रिटेन में आया फैसला बच्चों के वैक्सीनेशन पर नई बहस शुरू कर सकता है।

डेली मेल के मुताबिक, JCVI ने शुक्रवार को कहा कि 12 से 15 साल के स्वस्थ बच्चों को वायरस से कम खतरा रहता है। पैनल ने ये भी कहा है कि ऐसे 2 लाख और युवाओं को वैक्सीन दी जानी चाहिए, जो किडनी, हार्ट और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे हैं। पैनल ने कहा कि कोरोना संक्रमित होने पर 10 हजार में से एक बीमार बच्चे की हालत गंभीर होने का खतरा है। वहीं, स्वस्थ बच्चों में यह 5 लाख में से एक बच्चे के साथ होगा। इसलिए उन्हें कोरोना वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं है।

स्कूल खुले रखने की सलाह

हालांकि, एक्सपर्ट पैनल ने सरकार से इस बारे में कहीं और से सलाह लेने के लिए कहा है कि क्या स्कूलों में बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन से ज्यादा फायदे होंगे। इनमें स्कूल खुले रखना और भविष्य में लॉकडाउन से बचना शामिल है। माना जा रहा है कि एजुकेशन सेक्रेटरी गेविन विलियम्सन सहित कई मंत्रियों की ओर से इस प्लान को हरी झंडी दिखाने के लिए पैनल पर भारी दबाव था।

अब ब्रिटेन के 4 चीफ मेडिकल ऑफिसर अगले सप्ताह तक इसका भी आकलन करेंगे कि सेकेंडरी स्कूल के बच्चों का वैक्सीनेशन करने से सोसायटी को क्या फायदा होगा। इसके अलावा 16 साल से कम उम्र के एलिजिबल बच्चों को फाइजर वैक्सीन लगाने के लिए कहा जाएगा, क्योंकि इसका ट्रायल डेटा यह दिखाने के लिए पर्याप्त है कि यह वैक्सीन बीमारी से जूझ रहे बच्चों के लिए सेफ है।

यहां चल रहा बच्चों का वैक्सीनेशन

कनाडा: पूरी दुनिया में बच्चों का कोरोना वैक्सीनेशन सबसे पहले कनाडा ने शुरू किया। यहां 12-15 साल तक के बच्चों के लिए फाइजर की वैक्सीन को मंजूरी दी गई है। इससे पहले यह वैक्सीन 16 से ज्यादा उम्र वालों को लगाई जा रही थी।

अमेरिका: यहां भी 12 से 15 साल के बच्चों के लिए फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन लगाई जा रही है। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने इसे इजाजत दी है। कनाडा की ही तरह पहले यह 16 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों को लगाई जा रही थी। इसके बाद 12 से 15 साल के 6 लाख से ज्यादा बच्चों को वैक्सीन लगाए जा चुके हैं।

भारत में अभी शुरुआत नहीं

भारत में अभी जायडस कैडिला की वैक्सीन जायकोव-डी को इमरजेंसी यूज के लिए अप्रूवल दिया है। ये दुनिया की पहली DNA बेस्ड वैक्सीन है। इसे 12 साल और उससे ज्यादा उम्र के बच्चों और बड़ों को लगाया जा सकेगा। इससे पहले मॉडर्ना की वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजे सामने आए थे। इसमें 12 से 17 साल के बच्चों को शामिल किया गया था। कंपनी के अनुसार, वैक्सीन बच्चों पर 100% प्रभावी और सुरक्षित पाई गई है।

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