नई दिल्ली| सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 महामारी के दौरान सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को 30 सितंबर तक फाइनल ईयर की परीक्षाएं कराने के यूजीसी के निर्देश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 10 अगस्त तक टाल दी है। सॉलिसिटर जरनल तुषार मेहता को कहा गया है कि गृह मंत्रालय का पक्ष स्पष्ट करें। इसके लिए 7 अगस्त तक हलफनामा दाखिल करना है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में 6 जुलाई को जारी यूजीसी की उस गाइडलाइन को चुनौती दी गई थी, जिसमें देश के सभी विश्वविद्यालयों से 30 सितंबर से पहले अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित कर लेने के लिए कहा गया है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को नोटिस जारी कर फाइनल ईयर की परीक्षाएं कराने के विरोध में दायर याचिकाओं को लेकर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
इससे पहले गुरुवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने फाइनल ईयर और अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं सितंबर के अंत में कराने के निर्णय को उचित ठहराते हुये सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि देश भर में छात्रों के शैक्षणिक भविष्य को बचाने के लिये ऐसा किया गया है।
यूजीसी ने अंतिम वर्ष की परीक्षायें आयोजित करने संबंधी छह जुलाई की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 50 पेज का हलफनामा न्यायालय में दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि इस साल जून में कोविड-19 महामारी की स्थिति को देखते हुये उसने विशेषज्ञ समिति से 29 अप्रैल के दिशा-निर्देशों पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया था। अप्रैल के दिशानिर्देशों में विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों से कहा गया था कि वे अंतिम वर्ष की परीक्षायें जुलाई, 2020 में आयोजित करें।
प्री-प्राइमरी और प्रारंभिक कक्षाओं में भी ऑनलाइन शिक्षा दी जा सकेगी
यूजीसी के अनुसार विशेषज्ञ समिति ने ऐसा ही किया और अपनी रिपोर्ट में सेमेस्टर और अंतिम वर्ष की परीक्षायें ऑफ लाइन, ऑनलाइन या मिश्रित प्रक्रिया से सितंबर, 2020 के अंत में कराने की सिफारिश की थी।
हलफनामे के अनुसार विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर यूजीसी ने छह जुलाई की बैठक में चर्चा की और इसे मंजूरी दी। इसके तुरंत बाद कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुये अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के बारे में परिवर्तित दिशानिर्देश जारी किये गये।
कोविड-19 महामारी के दौरान सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षायें कराने के छह जुलाई के निर्देश को चुनौती देते हुये शिव सेना की युवा इकाई ‘युवा सेना और कई अन्य संस्थाओं तथा व्यक्तियों ने याचिकायें दायर कर रखी हैं। इन याचिकाओं में संबंधित प्राधिकारियों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि मौजूदा हालात को देखते हुये अंतिम वर्ष की परीक्षायें नहीं करायी जायें और छात्रों के पिछले प्रदर्शन या आंतरिक आकलन के आधार पर ही नतीजे घोषित किये जायें।
इन याचिकाओं में बिहार और असम में बाढ़ की वजह से लाखों छात्रों की परेशानियों और कई राज्यों द्वारा कोविड-19 महामारी की वजह से राज्य विश्वविद्यालयों की परीक्षायें रद्द करने के निर्णय सहित अनेक मुद्दे उठाये गये हैं। न्यायालय ने इस मामले में केन्द्र और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। यह मामला 31 जुलाई को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध था।