नई दिल्ली| लोन मोरेटोरियम पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। केंद्र सरकार ने सुनवाई के दौरान कोर्ट से समय मांगा था। केंद्र ने पिछली सुनवाई पर उच्चतम न्यायालय को बताया कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर ऋण की किस्त टालने की अवधि के दौरान बैंकों द्वारा ब्याज वसूलने पर 2-3 दिन में फैसला होने की संभावना जताई थी।
शीर्ष अदालत ने टाली गई किस्तों पर ब्याज लेने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र से निर्णय को रिकॉर्ड में लाने और संबंधित पक्षकारों को हलफनामा देने को कहा था। पीठ ने कहा था कि वह सोमवार यानी आज (पांच अक्टूबर) को मामले की सुनवाई करेंगे। आपकी जो भी नीति है, जो भी आप चाहते हैं, उसे बताइए।
पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के बयान को दर्ज किया। मेहता ने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार सक्रियता के साथ विचार कर रही है और इस पर दो-तीन दिनों के भीतर फैसला होने की संभावना जताई। पीठ ने कहा कि मेहता गुरुवार तक संबंधित पक्षों को हलफनामा देने का प्रयास करें, ताकि इस मामले की सुनवाई पांच अक्टूबर को हो।
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पीठ ने कहा, ”सरकार द्वारा लिए गए फैसले को हलफनामे के साथ रिकॉर्ड में लाया जाना चाहिए। मेहता ने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है और निर्णय लेने के बाद हलफनामा दाखिल किया जा सकता है।
इससे पहले, सरकार ने न्यायालय को सूचित किया कि कोविड-19 महामारी के दौरान मोरेटोरियम अवधि में ऋण भुगतान की किस्तें स्थगित करने पर बैंकों द्वारा लगाए जा रहे ब्जाज के मसले पर उच्च स्तर पर विचार हो रहा है। शीर्ष अदालत ने केन्द्र और रिजर्व बैंक को अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय देते हुए कहा कि इससे पहले इस बारे में निर्णय लिया जाना चाहिए।