नई दिल्ली। टूलकिट मामले में गिरफ्तार दिशा रवि की जमानत याचिका पर शनिवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई है। एडिशनल सेशन जज धर्मेंद्र राणा की बेंच ने मामले में सुनवाई की है।
दिल्ली पुलिस ने सुनवाई के दौरान अदालत से कहा कि यह महज एक ‘टूलकिट’ नहीं था। असली मंसूबा भारत को बदनाम करने और यहां अशांति पैदा करने की थी। उन्होंने कहा कि दिशा रवि ने व्हाट्सऐप पर हुई बातचीत मिटा दी, क्योंकि वह कानूनी कार्रवाई से अवगत थी। इससे जाहिर होता है कि टूलकिट के पीछे नापाक मंसूबा था।
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इस दौरान दिल्ली पुलिस ने बताया कि बीते 11 जनवरी को प्रतिबंधित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ ने इंडिया गेट और लाल किला पर खालिस्तानी झंडा फहराने वाले को इनाम देने की घोषणा की थी।
इससे पहले आरोपी दिशा रवि ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था। उन्होंने एक याचिका दायर करते हुए दिल्ली पुलिस को यह निर्देश देने की अपील की थी कि वह जांच सामग्री मीडिया में लीक न करें।
दिशा के वकील अभिनव सेखरी ने कहा था कि वह याचिका को हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद ही इस पर कोई टिप्पणी करेंगे।
याचिका में मीडिया को उनके और तीसरे पक्ष के बीच व्हॉट्सएप पर मौजूद किसी भी कथित निजी वार्तालाप की सामग्री या अन्य चीजें प्रकाशित करने से रोकने का भी अनुरोध किया गया है।
सॉलिसीटर जनरल ने कहा- नहीं लीक की कोई जानकारी
टूलकिट मामले में गिरफ्तार 22 वर्षीय पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि की याचिका पर जवाब देते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया था कि दिल्ली पुलिस ने उनकी एफआईआर के संबंध में कोई जानकारी मीडिया में लीक नहीं की है।