मदद कभी बेकार नहीं जाती। हर क्रिया की अपनी प्रतिक्रिया होती है। भारत ने दुनिया के 88 देशों को कोरोना रोधी टीके भेजे थे। कुछ देशों ने तो उन्हीं टीकों से अपने नागरिकों का शत-प्रतिशत टीकाकरण करा लिया लेकिन भारत की आबादी बड़ी है। अभी भी वह वरीयता के आधार पर अपने लोगों का टीकाकरण कर रहा है। एक बार लगा था कि उसने कोरोना को शिकस्त दे दिया है लेकिन दूसरी लहर ने उसकी पेशानियों पर बल ला दिया है। कोरोना संक्रमित की बढ़ती तादाद और मौत के चलते उसे नए सिरे से अपनी व्यवस्थाओं के खांचे मजबूत करने पड़ रहे हैं।
हालांकि वह देर-सवेर अपनी समस्याओं से निजापत पालेगा और इसमें वह सक्षम भी है लेकिन जिस तरह मित्र देशों ने उसे मदद करनी आरंभ की है, उससे वसुशैव कुटुंबकम की भावनास का ही इजहार होता है। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई और माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला ने कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते संकट का सामना कर रहे भारत की मदद का आश्वासन दिया है। गूगल के भारतीय मूल के सीईओ पिचाई ने ट्वीट किया, भारत में बदतर होते कोविड संकट को देखकर दुखी हूं। चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति, उच्च जोखिम वाले वर्गों की मदद कर रहे संगठनों की सहायता और महत्वपूर्ण सूचना के प्रसार में मदद के लिये गूगल गिव इंडिया और यूनीसेफ को 135 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान कर रही है।
भारत-जापान मिलकर देंगे कोरोना को मात, मोदी ने जापानी समकक्ष सुगा से की बात
वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने भारत को घातक कोरोना वायरस संकट से निपटने में मदद देने के लिए आवश्यक चिकित्सकीय जीवनरक्षक आपूर्तियों और उपकरण समेत हर तरह का सहयोग देने का आश्वासन दिया है। बाइडन ने एक ट्वीट में कहा है कि वैश्विक महामारी की शुरुआत में हमारे अस्पतालों पर दबाव बढ़ने के दौरान जिस तरह भारत ने मदद भेजी थी, उसी तरह हम भी जरूरत की इस घड़ी में भारत की मदद के लिए दृढ़ हैं। दुबई ने भारत का साथ देने के लिए बुर्ज खलीफा जैसी इमारत को तिरंगे से सजा देना यह बताता है कि भारत के प्रति दुनिया के देशों में बहुत प्यार है।
कोरोना संक्रमण के इस भयानक दौर में जब कोरोना संक्रमण का आंकड़ा दिनोंदिन बढ़ रहा है। आम आदमी का रोजगार भी छिन गया है, तब महामारी से बचाव के लिए गरीबों के पास इतना पैसा नहीं बचा है कि वे बीमार होने पर अपना इलाज प्राइवेट अस्पताल में करा सकें। प्राइवेट अस्पतालों की फीस इतनी मोटी होती है कि सामान्य दिनों में भी गरीब इसमें इलाज नहीं करा सकते। संकट के समय तो स्थिति और विकट हो गयी है। एक तरफ रोजगार खत्म हो रहे हैं और दूसरी तरह किसी भी समय बीमार होने का खतरा सिर पर मंडरा रहा है। ऐसे नाजुक दौर में उत्तर प्रदेश सरकार ने गरीबों को राहत देने वाला फैसला किया है। प्रदेश सरकार ने सरकारी अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं होने पर मरीजों का इलाज निजी अस्पताल में कराने का फैसला किया है और इसका पूरा खर्च सरकार वहन करेगी।
बोकारो से ’प्राणवायु’ लेकर वाराणसी पहुंची ‘ऑक्सीजन एक्सप्रेस’
दरअसल कोरोना के इलाज से लेकर अंतिम संस्कार तक इतना खर्च आता है कि गरीबों के लिए यह संभव नहीं है। संकट के इस दौर में आम आदमी जैसे-तैसे दो-जून की रोटी का इंतजाम कर पाता है। बहुत से गरीब तो इसकी भी व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में महंगा इलाज और मौत हो जाने पर अंतिम संस्कार तक के खर्चे आदमी की पहुंच से बाहर हो गये हैं। महामारी ने गरीबों पर ऐसा कहर बरपाया है कि बड़े पैमाने पर लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गये हैं। संपत्तियों का केन्द्रीयकरण और बढ़ा है जिसके कारण गरीब और गरीब हुआ है और अमीर और अधिक अमीर हो गये हैं। इस नाजुक दौर में सरकार का यह दायित्व है कि वह गरीबों के इलाज की जिम्मेदारी ले। मरीजों का सरकारी अस्पताल में इलाज हो और अगर सरकारी अस्पताल में बेड नहीं मिलता है और मरीज को प्राइवेट अस्पताल में रिफर किया जाता है तो इलाज का जितना भी खर्च आये, सरकार उसका भुगतान करे।
निजी हॉस्पिटलों में जरूरतमंदों को फ्री मिलेगा रेमडेसिविर इंजेक्शन
यही नहीं अगर इलाज के दौरान मौत हो जाती है तो मृतक को घर तक पहुंचाने और अंतिम संस्कार के लिए भी मदद की जरूरत है। क्योंकि इस समय गरीबों के पास कुछ नहीं है। इस संदर्भ में प्रदेश सरकार ने सरकारी अस्पताल में बेड न होने पर प्राइवेट अस्पताल के इलाज का खर्च वहन करने और अंतिम संस्कार में मदद का हाथ बढ़ाकर उचित, सामयिक और मानवीय फैसला किया है। एक और संकट सामने आ रहा है। शहरों में बाहर से जो लोग आये हैं, उनकी मौत पर कोई श्मशान घाट तक पहुंचाने के लिए सामने नहीं आ रहा है। गांवों से शहर आने वालों का एक तो सामाजिक दायरा बहुत छोटा होता है और दूसरे यह कि इस समय लोग मृतक के पास जाने से डर रहे हैं, क्योंकि कोरोना का डर है। इसलिए अंतिम संस्कार के लिए मृतक को श्मशान घाट तक लाने या उसके पैतृक घर तक पहुंचाने का भी प्रबंध करना चाहिए।
रिलायंस फाउंडेशन कोविड मरीजों के लिए 875 बेड का करेगा संचालन
यह संकट का दौर है और कोई भी सरकार इसलिए याद की जाती है कि संकट में आम आदमी के साथ किस हद तक खड़ी रही। अगर सरकार संकट में गरीबों और पीड़ितों की मदद करती है तभी उसका जनोन्मुखी पक्ष सामने आता है। प्रदेश सरकार ने संकट में गरीबों की मदद करने का फैसला करके सहरानीय पहल की है। अब इस फैसले को सही तरीके से लागू करने की जरूरत है।