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इंजीनियर बनने का था सपना और बन गए राजनेता, जानिए हेमंत सोरेन का राजनीतिक सफर

Hemant Soren

Hemant Soren

10 अगस्त 1975, झारखंड के रामगढ़ जिला के नेमरा गांव में, पिता दिशोम गुरु शिबू सोरेन और मां रूपी सोरेन के तीसरी संतान के रूप में जन्मे हेमंत सोरेन (Hemant Soren) , झारखंड राज्य के सर्वाधिक चार बार मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल करने वाले वह राजनेता हैं, जिन्होंने अपने कार्यों के बदौलत अपनी पहचान देश के एक चमकते हुए सियासी सितारे के रूप में स्थापित की है।

झारखंड के बरहेट विधानसभा सीट से जीत की हैट्रिक लगाने वाले, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) आज 10 अगस्त 2025 को ,50 साल के हो गए हैं। उन्हें जन्मदिन की बधाई देने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या अन्य केंद्रीय नेताओं की बात हो या दूसरे प्रदेशों के मुख्यमंत्री या झारखंड के राजनीतिक दलों से जुड़े हुए नेताओं की, हर कोई आज मुख्यमंत्री हेमंत को जन्मदिन की बधाई और उनके उज्जवल भविष्य की कामना कर रहा है।

कुछ दिन पहले पिता का हो गया था निधन

अपने जन्मदिन से महज कुछ दिन पूर्व ही 4 अगस्त 2025 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के सिर से उनके पिता , झारखंडियों के अभिभावक कहे जाने वाले दिशोम गुरु शिबू सोरेन का साथ छूट गया। पिता के निधन के बाद बेटे हेमंत सोरेन ने न सिर्फ उन्हें मुखाग्नि दी बल्कि स्थानीय परंपरा के अनुरूप उनके अंतिम संस्कार की सभी विधियों का निर्वहन अपने पैतृक गांव रामगढ़ जिला के नेमरा में कर रहे हैं।

इंजीनियर बनने का सपना था

इंजीनियर बनने का सपना देखने वाले हेमंत सोरेन ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के उपरांत, बिड़ला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, मेसरा (BIT mesra) राँची में एडमिशन लिया था। इंजीनियर बनने का सपना देखने वाले हेमंत सोरेन अपनी पढ़ाई पूरी कर पाते इससे पहले ही किस्मत ने उन्हें राजनीति के मैदान में उतार दिया।

1998 में पिता शिबू सोरेन और साल 1999 में माँ रूपी सोरेन के चुनाव हारने और झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी के संगठन के कमजोर होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने राजनीति मैदान में पहला कदम रखा। इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ पार्टी को मजबूत करने के लिए झारखंड के संथाल परगना हेमंत सोरेन सक्रिय हो गए। जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के लिए कार्य करने लगे और इसी का नतीजा था कि साल 2002 , 2004 और साल 2009 में उनके पिता शिबू सोरेन ने दुमका लोकसभा सीट से जीत दर्ज की।

पहले चुनाव में मिली थी हार

स्वयं हेमंत सोरेन (Hemant Soren) साल 2005 में पहली बार अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करते हुए दुमका विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, हालांकि उन्हें स्टीफन मरांडी जैसे दिग्गज नेता से हार का सामना करना पड़ा था। जीवन के पहले ही चुनाव में हार का सामना करने वाले युवा हेमंत विचलित नहीं हुए और उन्होंने जमीनी स्तर पर कार्य करना शुरू कर दिया, और उन्हें पहली सफलता साल 2009 में मिली और वह राज्यसभा सांसद निर्वाचित हुए।

साल 2009 के ही अंतिम महीना में झारखंड में विधानसभा चुनाव हुआ और उन्होंने दुमका सीट से ही अपनी किस्मत दोबारा से आजमाई और उन्हें बतौर विधायक पहली जीत मिली और उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया।

2013 में बने पहली बार मुख्यमंत्री

साल 2010 में पहली बार हेमंत सोरेन (Hemant Soren) उस वक्त के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की सरकार में डिप्टी सीएम बने। जबकि साल 2013 में पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन ने शपथ ली। इसके बाद फिर 29 दिसंबर 2019 को दूसरी बार हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसी बीच 31 दिसंबर 2023 को प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा लैंड स्कैम मामले में हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया, और उन्हें जेल जाना पड़ा। जेल से रिहा होने के बाद 4 जुलाई 2024 को हेमंत सोरेन ने तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

साल 2024 के नवंबर महीने में हुई विधानसभा चुनाव में पहली बार झारखंड मुक्ति मोर्चा ने हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के नेतृत्व में सर्वाधिक 34 विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया जबकि उनके नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार ने 56 सीटों पर कब्जा करते हुए प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई और 28 नवंबर 2024 को हेमंत सोरेन ने चौथी बार झारखंड राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।

2025 में चुने गए पार्टी के अध्यक्ष

15 अप्रैल 2025 को झारखंड मुक्ति मोर्चा के 13वें केंद्रीय महा अधिवेशन में पार्टी के द्वारा एक बड़ा फैसला लेते हुए, दिशोम गुरु शिबू सोरेन के जगह पर उनके बेटे और राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन (Hemant Soren) को पार्टी का केंद्रीय अध्यक्ष चुना गया। पिताजी गुरुजी शिबू सोरेन की राजनीतिक विरासत, उनकी सोच और झारखंड की साढ़े तीन करोड़ जनता की उम्मीद और सपनों को साकार करने की एक बड़ी जिम्मेदारी भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर है।

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