लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) पौधरोपण को प्रदूषण (Envoirnment) से मुक्ति के साथ सेहत दुरुस्त करने का भी जरिया बनाने में जुटी हुई है। हरियाली बढ़ाने में उन पौधों का अधिक रोपण होने जा रहा है जो प्राणवायु देने के साथ अपने फल-फूल आदि से हमें आरोग्यदायक औषधियां प्रदान करते हैं। इन औषधीय गुणों वाले पौधों का दायरा सिर्फ घर के अहाते, बाग, जंगल तक सीमित नहीं है बल्कि इसके लिए उप्र सरकार राज्य के कुछ सड़कों को हर्बल मार्ग (Herbal marg) के रूप में भी विकसित कर रही है।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने गुरुवार को बताया कि हर्बल मार्ग (Herbal marg) बनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों की इम्यूनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) को बेहतर करने के साथ-साथ पर्यावरण को शुद्ध रखना है। हर्बल मार्गों (Herbal marg) को विकसित करने के लिए अलग से कोई धनावंटन निर्गत नहीं किया गया है, बल्कि मौजूद संसाधन से ही जनहित व स्वास्थ्यवर्धन का यह कार्य कराया जा रहा है। हर्बल मार्गों पर विभिन्न औषधीय वृक्षों के होने से वायु प्रदूषण में कमी आयेगी, साथ ही आमजन को औषधि भी प्राप्त होगी।
प्रवक्ता ने बताया कि लोक निर्माण विभाग ने हर्बल मार्ग (Herbal marg) के लिए जिन पौधों का चयन किया है उनमें मासपर्णी, सप्तपर्णी, जत्रोफा (रतनजोत), जल नीम, छोटा नीम, सहजन, मेंथा, लेमन ग्रास, भृंगराज, मुई, आंवला, ब्राह्मी, तुलसी, अनन्तमूल, ग्वारपाठा, अश्वगंधा, हल्दी आदि हैं। अपनी थाती आयुर्वेद में इन सभी पौधों के औषधीय महत्व का जिक्र है।
इन औषधीय पौधों में विभाग के साथ सरकार का भी सहजन पर खासा जोर है। सहजन एक ऐसा पौधा है जिसके फूल, फल, पत्ती यानी हर अंग में आरोग्यता प्रदान करने वाले पोषक तत्वों का खजाना है। यह इम्यूनिटी बूस्टर होने के साथ कई गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए संजीवनी समान है। इन्हीं खूबियों की वजह से सहजन को चमत्कारिक पौधा भी कहा जाता है। सरकार इसी मंशा के अनुरूप हर्बल मार्ग के साथ ही नवग्रह वाटिका, नक्षत्र वटिका, पंचवटी, गंगावन, अमृतवन जैसी योजनाओं को भी प्रमुखता से लागू कर रही है।
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सरकारी प्रवक्ता के अनुसार पांच साल में पौधरोपण का रिकार्ड बनाने वाली उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अब नये कीर्तिमान रचने की भी तैयारी कर ली है। उनके पहले कार्यकाल में प्रदेश में हरियाली बढ़ाने के लिए 100 करोड़ से अधिक पौधरोपण हुआ। इसका सकारात्मक नतीजा भी सामने है। स्टेट ऑफ फारेस्ट की रिपोर्ट 2021 के अनुसार उत्तर प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 9.23 फीसद हिस्से में वनावरण है। 2013 में यह 8.82 फीसद था। वर्ष 2030 तक सरकार ने इस रकबे को बढ़ाकर 15 फीसद करने का लक्ष्य रखा है। लक्ष्य पूर्ति के लिए सरकार अगले पांच साल में 175 करोड़ पौधों का रोपण करेगी। इसके तहत इस वर्ष 35 करोड़ पौधरोपण की तैयारी हो चुकी है।
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उन्होंने बताया कि पौधरोपण के महाअभियान में वन विभाग के अलावा 26 अन्य विभाग भाग लेंगे। हर विभाग का लक्ष्य पहले से ही निर्धारित है। इस क्रम में सर्वाधिक 12.60 करोड़ और 12.32 करोड़ का लक्ष्य क्रमशः वन एवं ग्राम्य विकास विभाग का है। इसके अलावा कृषि विभाग और उद्यान विभाग का लक्ष्य क्रमशः 2.35 करोड़ एवं 1.55 करोड़ पौधरोपण का है। पौधरोपण अभियान में बरगद, पीपल, पाकड़, नीम के साथ ही बेल, आंवला, आम, कटहल कैथा, जामुन, शरीफा, करौंदा, नींबू, अंजीर, गूलर, महुआ, शहतूत, जंगल जलेबी, अमरूद, अनार, इमली, बेर, किन्नू के पौधों को रोपने की अधिक वरीयता दी जाएगी।