लखनऊ। आधार कार्ड की जानकारी व फिंगरप्रिंट का क्लोन बनाकर लोगों के खाते से रकम निकालने वाले हाईटेक जालसाजों को लखनऊ की साइबर क्राइम टीम ने गिर तार किया है। आरोपित जालसाज एईपीएस सुविधा की कमजोर नस पकड़कर लोगों के बैंक खाते से लाखों रुपये पार करते थे।
पुलिस ने बताया कि पीडि़त ने कृष्णानगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। पीडि़त की शिकायत साइबर सेल में ट्रांसर्फर की गई थी। पीडि़त का केनरा बैंक की शाखा में खाता है। जालसाजों ने आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के माध्यम से पीडि़त के खाते से 50 हजार रुपये निकाल लिए थे। साइबर क्राइम सेल ने जानकारियां हांसिल करना शुरू की थी। जालसाजों की लोकेशन वाराणसी के मसकन आ रही थी। इस पर साइबर क्राइम सेल और वाराणसी पुलिस की संयुक्त टीम ने जालसाजों को गुरूवार सुबह गिर तार कर लिया है। पूछताछ में आरोपितों ने अपना नाम ग्राम ताहिरपुर सरूपहां देवगांव आजमगढ़ निवासी देवेन्द्र कुमार मौर्या और ग्राम अमरौना चन्डवक जौनपुर निवासी रामेश कुमार बताया है।
बकौल पुलिस आरोपित देवेन्द्र ने बताया कि वह आधार कार्ड के माध्यम से फ्राड कर रहा था। देवेन्द्र आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम को सर्विस प्रोवाइड कराने वाली कपनी पेइनर का कर्मी है। जालसाज पेइनर कपनी का डिस्ट्रीब्यूटर है और उसके पास मास्टर डिस्ट्रीब्यूटर आईडी पासवर्ड भी है। भारत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों की सुविधा के लिए एइपीएस सुविधा उपलब्ध कराई है। जिसके तहत ग्रामीण व्यक्ति अपने आधार कार्ड नबर या फिर फिंगर प्रिंट के माध्यम से 10 हजार रुपये तक निकाल सकता है। जालसाज ग्रामीण क्षेत्रों में उक्त कपनी का रिटेलर बनाता है। जालसाज सिस्टम के माध्यम से लोगों के खाता की जानकारी हांसिल कर लेते थे। एईपीएस सिस्टम से लिंक आधार कार्ड के खातों को यह लोग चिन्हित कर लेते थे। लोगों का आधार कार्ड नबर और उनके फिंगर प्रिंट के माध्यम से ग्रामीणों के बैंक खाते से रुपये निकाल लेते थे।
थर्मल स्कैनर से तैयार करते थे फिंगर प्रिंट क्लोन
जालसाज भारत सरकार की बेवसाइट भूलेख के माध्यम से ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के समस्त बैनामा धारक के प्रापर्टी की समस्त दस्तावेज स्कैन करके अपलोड करते थे। जिसमें बायोमैट्रिक अंगूठा का निशान और आधार कार्ड की छायाप्रति भी होती है। जालसाज थर्मल स्कैनर, बटर पेपर, इमेज बूस्टर, थिनर के माध्यम से फिंगर प्रिंट तैयार करते थे। फिंगर प्रिंट और आधार कार्ड के न बर के माध्यम से जालसाज विभिन्न बैंकों में लोगों के खातों से रुपये अपने एकाउंट में ट्रांसर्फर करवा लेते थे।
कमजोर नस पकड़कर किया फ्राड
जालसाजों ने भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे सिस्टम की कमजोर नस को पकड़कर फ्राड किया है। साइबर सेल के इंस्पेक्टर सौरभ मिश्र ने बताया कि यह प्रकरण विभिन्न वेबसाइटों पर उपलब्ध बायोमैट्रिक डाटा के क्लोनिंग से संबंधित है। बायोमैट्रिक सिस्टम अब तक सबसे सुरक्षित माना जाता था, लेकिन जालसाजों ने उसका भी तोड़ निकाल लिया है। डाटा सुरक्षित व संचित रखने के लिए राज्य व केंद्र सरकार की इन वेबसाइटों की देखरेख करने वाली क पनियों को खामियों से अवगत कराया जायेगा।
इण्टर पास जालसाज ने किया इंजीनियरों को फेल
पुलिस ने बताया कि जालसाज देवेन्द्र महज इण्टर पास है। इण्टर पास करने के बाद उसने कई काम किये, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। फिर से उसने पेइनर क पनी ज्वाइन की। देवेन्द्र के हौसले और शातिर दिमाग को देखते हुए क पनी ने उसे डिस्ट्रीब्यूटर बना दिया था। ग्रामीण इलाकों में रिटेलर बनाने के दौरान उसने सरकार द्वारा चालू किए गए सिस्टम की कई खामियां पकड़ ली थीं। जबकि सिस्टम को तैयार करने में होनहार सा टवेयर इंजीनियर लगे थे, लेकिन महज इण्टर पास युवक ने इंजीनियरों को मात दे दी।