Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

उच्च न्यायालय ने लिव इन रिलेशनशिप में रहने से नौकरी से बर्खास्तगी को माना गलत

Allahabad High Court

Allahabad High Court

शादी के बावजूद लिव इन रिलेशनशिप में रहने के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने शादीशुदा पुरुष सरकारी कर्मचारी के लिव इन रिलेशनशिप में रहने की वजह से नौकरी से बर्खास्तगी के आदेश को गलत माना है तथा कर्मचारी को नौकरी में बहाल करने का आदेश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने याची कर्मचारी गोरेलाल वर्मा की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि महज शादीशुदा होने के बावजूद दूसरी महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने के आधार पर किसी को नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जा सकता।

अदालत ने माना कि नौकरी से बर्खास्तगी की सजा बहुत कठोर है। यह उत्तर प्रदेश सरकार सेवक आचरण नियमावली 1956 के संदर्भ में अनुचित भी है। कोर्ट ने इसी आधार पर बर्खास्तगी आदेश को रद्द करने योग्य माना।

योगी सरकार का बड़ा फैसला, कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट के साथ यूपी में मिलेगी एंट्री

कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में जुर्माना लगाकर भी सजा दी जा सकती है। कोर्ट ने कर्मचारी को बहाल करने का निर्देश दिया है लेकिन साथ ही यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को बर्खास्तगी की अवधि का वेतन भुगतान नहीं किया जाएगा।

सरकारी कर्मचारी गोरेलाल पर आरोप है कि वह पत्नी लक्ष्मी देवी के जीवित रहते हुए हेमलता वर्मा नाम की महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में पति-पत्नी की तरह रहने का दोषी पाया गया था। दोनों से 3 बच्चे भी हैं।

शादीशुदा रहते हुए लिव इन रिलेशनशिप में रहने की वजह से गोरे लाल वर्मा को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। अपने बर्खास्तगी आदेश को इस कर्मचारी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

Exit mobile version