इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने एक अहम आदेश देते हुए धर्मांतरण के आरोपों में गिरफ्तार मोहम्मद उमर गौतम की उस याचिका को गुण दोष विहीन करार देते हुए खारिज कर दिया, जिसमें उसने अपने खिलाफ आरोपों की विवेचना संबंधी जानकारी पक्षकारों की तरफ से मीडिया को न दिए जानें की माँग की थी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिका तथ्य विहीन है और यह खारिज किये जाने योग्य है।
यह अहम आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायामूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव की खंडपीठ ने बुधवार को याची उमर गौतम की याचिका पर सुनाया।
न्यायालय ने कहा कि ऐसी कोई सामग्री याचिका में रिकार्ड पर नहीं लाई गई जिससे यह पता चले कि पक्षकारों ने याची से संबंधित आरोपों की तफ्तीश संबंधी कोई जानकारी मीडिया को लीक की या केंद्रीय गृह मंत्रालय के वर्ष 2010 के संबंधित मानदण्डों का उल्लंघन किया। ऐसे में रिट क्षेत्राधिकार के तहत याचिका दखल देने के योग्य नहीं है। लिहाजा गुण दोष विहीन होने की वजह से इसे खारिज किया जाता है।
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गत शुक्रवार को न्यायालय के समक्ष याचिका पर सुनवाई हुई थी। राज्य सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता शिवनाथ तिलहरी ने याचिका के सुनवाई लायक न होने की दलील देकर याचिका का विरोध किया था। अदालत ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था, जिसे अदालत ने बुधवार को सुनाया।
याची ने अपने खिलाफ आरोपों की विवेचना संबंधी जानकारी पक्षकारों की तरफ से मीडिया को लीक न करने की गुजारिश करते हुए यह याचिका दायर की थी। साथ ही जारी तफ्तीश की मीडिया रिपोर्टिंग के दिशा निर्देश भी जारी करने का आग्रह किया था। याचिका में यूपी सरकार समेत कई मीडिया संस्थानों को पक्षकार बनाया गया था।