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 महज शादी के लिए धर्म बदलकर गलती कर रहे है हिन्दू : भागवत

mohan bhagwat

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राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने एक बार फिर धर्मांतरण के मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। उन्‍होंने कहा है कि छोटे-छोटे स्‍वार्थों के कारण और विवाह करने के मकसद से लड़के-लड़कियां दूसरा धर्म अपना रहे हैं। हमें बच्‍चों को अपने धर्म और पूजा के प्रति सम्‍मान व आदर भाव सिखाना चाहिए, ताकि वे दूसरे धर्म में ना जाएं।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, ‘धर्म परिवर्तन कैसे होता है? हमारी लड़कियां और लड़के दूसरे धर्मों में कैसे जा चले जाते हैं। ऐसा छोटे-छोटे स्वार्थी कारण से और विवाह के लिए होता है। यह और बात है कि ऐसा करने वाले गलत हैं। हम अपने बच्चों को तैयार नहीं करते हैं। हमें उन्‍हें खुद पर और अपने धर्म पर गर्व करना सिखाने की जरूरत है। हमें इसके संस्‍कार उन्‍हें घर पर देने होंगे।’

संघ प्रमुख ने कहा कि हम अपने बच्चों को तैयार नहीं करते हैं। हमें उन्हें खुद पर और अपने धर्म पर गर्व करना सीखने कि जरूरत है।

वहीं मोहन भागवत ने रविवार को परिवार प्रबोधन कार्यक्रम में कुटुंब के लिए छह मंत्र दिए। उन्होंने भाषा, भोजन, भजन, भ्रमण, भूषा और भवन के जरिये अपनी जड़ों से जुड़े रहने का संदेश दिया।

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कहा कि जैसे यहां पर परिवार प्रबोधन हो रहा है, उसी तरह सप्ताह में सभी परिवार कुटुंब प्रबोधन करें। इसमें एक दिन परिवार के सभी लोग एक साथ भोजन ग्रहण करें, इसमें अपनी परंपराओं, रीति रिवाजों की जानकारी दें। फिर आपस में चर्चा करें और एक मत बनाएं और उस पर कार्य करें।

हल्द्वानी के आम्रपाली संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि घर में अपनी भाषा बोलनी चाहिए। हालांकि, कोई अन्य भाषा भी सीखने का चलन बढ़ना चाहिए। कोई पर्व, त्योहार है तो अपने पारंपरिक वेषभूषा धारण करें।

भागवत ने कहा कि हमारे देश में करीब आठ सौ प्रकार के भोजन हैं, इनका सेवन करें। उत्तराखंड के कई प्रकार के भोजन हैं, उनका सेवन करना चाहिए। कभी-कभार बाहर का भोजन तो ठीक है, लेकिन सामान्य तौर पर अपनी आबोहवा के अनुकूल भोजन ग्रहण करें।

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भागवत ने भ्रमण पर कहा कि पूरी दुनिया देखनी चाहिए, लेकिन काशी, चित्तौड़गढ़ से लेकर हल्दीघाटी, जलियांवाला बाग भी देखना चाहिए। अपने घर के अंदर महात्मा गांधी, भगत सिंह, डॉ. आंबेडकर, वीर सावरकर आदि के चित्र लगाने चाहिए। उन्होंने कहा कि रामायण में कुटुंब की कहानी है, इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।

कुटुंब बनेगा तो उससे समाज बनेगा। इससे सोया हुआ राष्ट्र जागेगा और भारत विश्व गुरु बनेगा। उन्होंने कहा कि गृहस्थ आश्रम में रहने वालों के ऊपर पूरे समाज की जिम्मेदारी होती है। अपने परिवार के साथ आसपास के लोगों की भी चिंता करें।

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