लखनऊ। अयोध्या में आज इतिहास रचा गया है। कई सालों तक कोर्ट में मामला चलने के बाद आज अयोध्या में राम मंदिर की नींव पड़ गई है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन किया।
उन्होंने सबसे पहले अयोध्या पहुंचकर हनुमानगढ़ी में पूजा की, जिसके बाद उन्होंने रामलला के दर्शन किए। भूमि पूजन के दौरान मोहन भागवत, योगी आदित्यनाथ समेत अन्य कुछ मेहमान शामिल रहे।
Ayodhya: #RamTemple ‘Bhoomi Pujan’ concludes.
Stage event to follow shortly. PM Modi, RSS chief Mohan Bhagwat, UP CM Yogi Adityanath, Governor Anandiben Patel & President of Ram Mandir Trust Nitya Gopal Das will be on stage for the event. #Ayodhya pic.twitter.com/cFCUHkN637
— ANI (@ANI) August 5, 2020
प्रधानमंत्री ने राम मंदिर की आधारशिला रख दी है। भूमि पूजन की सभी प्रक्रिया करने के बाद प्रधानमंत्री ने शुभ मुहूर्त के वक्त शिला रखी। प्रधानमंत्री ने शिला रखकर वहां भूमि पर प्रणाम किया।
अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर के लिए भूमि पूजन दोपहर 12:30 बजे शुरू हुआ। कार्यक्रम प्रधानमंत्री द्वारा शिला पूजन, भूमि पूजन और कर्म शिला पूजन के साथ शुरू हुआ।
#WATCH: #RamTemple ‘Bhoomi Pujan’ concludes at #Ayodhya.
Soil from more than 2000 pilgrimage sites and water from more than 100 rivers was brought for the rituals. pic.twitter.com/DRpoZEKYWw
— ANI (@ANI) August 5, 2020
प्रमुख पूजा दोपहर 12:44 बजे और 12:45 बजे के बीच 32-सेकंड के अभिजीत मुहूर्त के दौरान आयोजित किया गया। यह वही मुहूर्त या शुभ मुहूर्त है जब भगवान राम का जन्म हुआ था।
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मंदिर निर्माण की शुरुआत के प्रतीक के तौर पर प्रधानमंत्री ने मंदिर की नींव में 40 किलो चांदी की ईंट रखी। अयोध्या इस ऐतिहासिक घटना की साक्षी बनी और वहां मौजूद लोग जय श्रीराम का उद्घोष कर रहे थे।
#WATCH: Prime Minister Narendra Modi greets attendees with a ‘sashtang pranam’ (prostration) at #RamTemple event.
175 guests were invited for the programme by the Ram Temple trust, including 135 religious leaders. pic.twitter.com/ygysgYafAD
— ANI (@ANI) August 5, 2020
राममंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट ने भूमि पूजन के बाद साढ़े तीन साल का लक्ष्य रखा है। शुरुआती ढेड़ साल में मंदिर का भूमि तल पर निर्माण कार्य को पूरा करने का वक्त तय किया है। इसके बाद अगले दो सालों में ऊपरी दोनों तलों पर निर्माण कार्य को पूरा करने का टारगेट रखा है। इस तरह से साढ़े तीन साल में मंदिर के शिखर तक के काम को पूरा कर लेना है।