शिव शक्ति मंदिर रामगंगा विहार के महंत पंडित देवेंद्र ओझा ने बताया कि होलाष्टक (Holashtak) 10 मार्च गुरुवार से प्रारम्भ हो जाएगा, जो 17 मार्च तक रहेगा।
पंडित देवेंद्र ओझा ने कहा कि मान्यता है कि होली से आठ दिन पूर्व लगने वाले होलाष्टक (Holashtak) की अवधि में किसी भी मांगलिक व शुभ कार्य को करना अपशकुन होता है। हालांकि इन आठ दिनों तक कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते। लेकिन देवी देवता की आराधना के लिए यह बहुत ही शुभकारी दिन माने जाते हैं। होलाष्टक से होली और होलिका दहन की तैयारी तेजी से शुरु हो जाती है।
पंडित देवेंद्र ओझा ने बताया कि हिंदू धर्म में होली के पर्व का विशेष महत्व है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली का पर्व मनाया जाता है। लेकिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ही होलाष्टक लग जाता है। फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन तक आठ दिनों तक होलाष्टक के दौरान मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। इस वर्ष होलाष्टक कल से यानी 10 मार्च से आरंभ होकर 17 मार्च तक रहेगा।
पंडित देवेंद्र ओझा ने बताया कि होलाष्टक के आठ दिनों की अवधि में शुभ कार्य नहीं करने के पीछे पौराणिक कथा है। जिसके अनुसार कामदेव द्वारा भगवान शिव की तपस्या भंग करने के कारण फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि पर क्रोध में आकर कामदेव को भस्म कर दिया था। उन्होंने बताया कि इसके साथ की होलाष्टक की एक अन्य कथा भी है जिसके अनुसार राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए इन आठ दिनों में कठिन यातनाएं दी थीं। इसलिए होलाष्टक काल को विवाह गृह प्रवेश, मुंडन समारोह आदि जैसे शुभ कार्यों को करने के लिए अशुभ माना जाता है।