फाल्गुन महीने की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तिथि तक को होलाष्टक कहा जाता है। आप को बता दें कि होलाष्टक होलिका दहन से पहले के 8 दिनों को कहते है और यह इस साल 22 मार्च से शुरू होने जा रहे हैं। यह 22 मार्च से 28 मार्च तक रहने वाले हैं।
बता दें 28 मार्च को होलिका दहन के बाद अगले दिन 29 मार्च को रंग पंचमी मनाई जाने वाली है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। वैसे आप सभी जानते ही होंगे होलाष्टक के दौरान 8 दिनों तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। जी दरअसल इस दौरान मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। वैसे होलाष्टक के अशुभ होने को लेकर दो पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
पहली कथा-
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रहलाद को भगवान श्रीहरि की भक्ति से दूर करने के लिए आठ दिनों तक कठिन यातनाएं दी थीं। आठवें दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका जिसे वरदान प्राप्त था, वो भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर बैठी और जल गई थी लेकिन भक्त प्रहलाद बच गए थे।
दूसरी कथा-
कहते हैं कि देवताओं के कहने पर कामदेव ने शिव की तपस्या भंग करने के लिए कई दिनों में कई तरह के प्रयास किए थे। तब भगवान शिव ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि को कामदेव को भस्म कर दिया था। कामदेव की पत्नी रति ने उनके अपराध के लिए शिवजी से क्षमा मांगी, तब भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवन देने का आश्वासन दिया