उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ नवाबों का शहर है। यहां होली का पर्व अपने अनूठे अंदाज में मनाया जाता है। लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लंबे अरसे से तक विरासत संभालने वाले पूर्व राज्यपाल लालजी टंडन की गैर मौजूदगी लोगों को खूब खली।
वे हर साल चौक में लोगों के साथ होली मनाते थे, जिसमें सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे के गले लगकर होली की मस्ती में डूब जाते थे। कोरोना के संक्रमण के चलते इस बार परिवार में ही होली खेलते नजर आए।
लखनऊ के मोतीनगर के गोकुलधाम में मारवाड़ी समाज की महिलाओं ने सज संवर कर न केवल पूजा-अर्चना की बल्कि फूलों की होली खेलकर खुशियां मनाई। इस दौरान कई महिलाओं ने नृत्य कर होलिका उत्सव मनाया। चौक के रंगोत्सव समिति की ओर से चौक चौराहे पर होली का आयोजन हुआ।
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लखनऊ को तहजीब का भी शहर कहा जाता है। यहां चौक में तीन दिनों तक रंगोत्सव मनाया जाता है। जहां एक ओर रंगोत्सव जुलूस में होरियारे फाग के साथ जुलूस की शोभा बढ़ाते हैं तो दूसरी ओर नवाबी काल ने मुस्लिम समाज के लोग इत्र का छिड़काव कर एकता और भाईचारे के साथ गंगा जमुनी तहजीब को मजबूती प्रदान करते हैं। सदियों पुरानी परंपरा वर्तमान समय में भी उसी नजाकत के साथ कायम है।