• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

मुहर्रम का पवित्र महीना कल से शुरू, जानें क्यों निकले जाते हैं ताजिया

Writer D by Writer D
18/07/2023
in धर्म, फैशन/शैली
0
Muharram

Muharram

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीने मुहर्रम (Muharram)  19 जुलाई यानी कल से शुरू हो रहा है। इस महीने से इस्लाम का नया साल शुरू हो जाता है। इस्लाम धर्म के लोग इस महीने को बेहद पवित्र मानते हैं। मुहर्रम की 10 तारीख को रोज-ए-आशुरा (Roz-e-Ashura) कहा जाता है। इसी दिन पैगम्बर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। इसलिए इस महीने को गम या शोक के तौर पर मनाया जाता है।

मुहर्रम (Muharram) के महीने को लेकर शिया और सुन्नी दोनों की मान्यताएं अलग हैं। शिया समुदाय के लोगों को मुहर्रम की 1 तारीख से लेकर 9 तारीख तक रोजा रखने की छूट होती है। शिया उलेमा के मुताबिक, मुहर्रम की 10 तारीख यानी रोज-ए-आशुरा के दिन रोजा रखना हराम होता है। जबकि सुन्नी समुदाय के लोग मुहर्रम की 9 और 10 तारीख को रोजा रखते हैं। हालांकि, इस दौरान रोजा रखना मुस्लिम लोगों पर फर्ज नहीं है। इसे सवाब के तौर पर रखा जाता है।

मुहर्रम (Muharram) का चांद दिखते ही सभी शिया मुस्लिमों के घरों और इमामबाड़ों में मजलिसों का दौर शुरू हो जाता है। इमाम हुसैन की शहादत के गम में शिया और कुछ इलाकों में सुन्नी मुस्लिम मातम मनाते हैं और जुलूस निकालते हैं। शिया समुदाय में ये सिलसिला पूरे 2 महीने 8 दिन तक चलता है। शिया समुदाय के लोग पूरे महीने मातम मनाते हैं। हर जश्न से दूर रहते हैं। चमक-धमक की बजाए काले रंग के लिबास पहनते हैं।

ताजिया निकालने का है रिवाज

वैसे तो मुहर्रम (Muharram) का पूरा महीना बेहद पाक और गम का महीना होता है। लेकिन मुहर्रम का 10वां दिन जिसे रोज-ए-आशुरा कहते हैं, सबसे खास होता है। 1400 साल पहले मुहर्रम के महीने की 10 तारीख को ही पैगम्बर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन को शहीद किया गया था। उसी गम में मुहर्रम की 10 तारीख को ताजिए निकाले जाते हैं।

रोटियां बनाते समय ना करें ये भूल, हो सकता है बड़ा नुकसान

इस दिन शिया समुदाय के लोग मातम करते हैं। मजलिस पढ़ते हैं, काले रंग के कपड़े पहनकर शोक मनाते हैं। यहां तक की शिया समुदाय के लोग मुहर्रम की 10 तारीख को भूखे प्यासे रहते हैं, क्योंकि इमाम हुसैन और उनके काफिले को लोगों को भी भूखा रखा गया था और भूख की हालत में ही उनको शहीद किया गया था। जबकि सुन्नी समुदाय  के लोग रोजा-नमाज करके अपना दुख जाहिर करते हैं।

Tags: islam religionMuharramMuharram 2023Roz-e-Ashura
Previous Post

सोनिया और राहुल गांधी के विमान की भोपाल में इमरजेंसी लैंडिंग, सामने आई ये बड़ी वजह

Next Post

हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास महाराज को मिला हिन्दू रत्न सम्मान

Writer D

Writer D

Related Posts

Muskmelon ice cream
खाना-खजाना

ये फल गर्मियों में शरीर को रखता है ठंडा, इसकी आइसक्रीम स्वाद का भी रखेगी ध्यान

07/06/2025
Karela juice
Main Slider

इस आसान तरीके से तैयार हो जाता है यह हेल्दी ड्रिंक, आपके शरीर का रखता है ख्याल

07/06/2025
Gulab Sharbat
Main Slider

रिश्तों में मिठास घोल देगा यह ड्रिंक, चारों ओर से हो जाएगी तारीफों की बौछार

07/06/2025
Kesar Firni
खाना-खजाना

टेंशन फ्री होकर खा सकते हैं स्वीट लवर्स, टेस्ट जीत लेगा दिल

07/06/2025
Cockroaches
फैशन/शैली

किचन में कॉकरोच की बढ़ रही है संख्या, छुटकारा दिलाएंगे ये उपाय

07/06/2025
Next Post
Mahant Raju Das

हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास महाराज को मिला हिन्दू रत्न सम्मान

यह भी पढ़ें

Entrepreneurs

सीएम योगी के हाथों ऋण पाकर खिले युवा उद्यमियों के चेहरे

21/03/2025

सीएम पुष्कर से किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने की मुलाकात

22/09/2021
dhaakad

गंगा किनारे तैरती एलईडी स्क्रीन पर रिलीज हुआ ‘धाकड़’ का टाइटल सॉन्ग

19/05/2022
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version