नई दिल्ली। सीमा पर तनाव के बीच सरकार चीन से आयात पर लगातार चोट कर रही है। इसी कड़ी में चीन से आयातित टायर पर निर्भरता खत्म करने को लेकर विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने देश की नौ वाहन कंपनियों से सालाना टायर आयात का विवरण मांगा है। ऑटो विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आने वाले दिनों में डीजीएफटी चीनी टायार का आयात पर रोक लगाता है तो इससे वाहन कंपनियों की लागत में वृद्धि होगी क्योंकि देसी टायर के मुकाबले चीनी टायर सस्ती हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में कंपनियां इसकी भरपाई खरीदारों से करेंगी।
साइबर ठगी : फॉर्म-16 का मेल आए तो हो जाएं सावधान
सूत्रों ने बताया कि डीजीएफटी ने वाहन कंपनियों से पूछा है कि देश में वाहन निर्माण करने के बावजूद टायर आयात करने की मुख्य वजह क्या है? इन कंपनियों की ओर से डीजीएफटी को जवाब मिलने के बाद इस साल के लिए टायर आयात करने का लाइसेंस मिलने की संभावना है। डीजीएफटी से हुंडई मोटर इंडिया, आयशर मोटर्स, बजाज ऑटो, एमजी मोटर इंडिया, होंडा कार्स इंडिया, मर्सिडीज-बेंज इंडिया, बीएमडब्ल्यू ग्रुप इंडिया, स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन इंडिया और जगुआर लैंड रोवर इंडिया ने चीन से टायर आयात करने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। डीजीएफटी के साथ बैठक में इन कार कंपनियों के अलावा सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) भी शामिल था।
सरकार ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए मोटर कारों, बसों, लॉरियों और मोटरसाइकिलों में इस्तेमाल होने वाले कुछ खास किस्म के नए नूमैटिक टायरों के आयात पर पिछले महीने ही प्रतिबंध लगाया था। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा, नए नूमैटिक टायरों की आयात नीति को मुक्त से प्रतिबंधित के रूप में संशोधित किया गया है। किसी वस्तु को प्रतिबंधित श्रेणी में रखने का अर्थ है कि उसके आयात के लिए किसी निर्यातक को डीजीएफटी से लाइसेंस या अनुमति लेनी होगी।
वाहन कंपनियों के प्रतिनिधियों का कहना है कि देसी कंपनियों के टायरों के मुकाबले चीन से आयातित टायर सस्ते होते हैं इतना ही नहीं उनके कटने फटने की वारंटी भी स्वेदेशी टायर कंपनियों के मुकाबले अधिक है, जो वाहन कंपिनियों के लिए फायदे का सौदा है। अब अगर डीजीएफटी वाहन कंपनियों को चीन से आयातित टायर लगाने पर प्रतिबंध लगाता है तो गाड़ियों का उत्पादन भी प्रभावित हो सकती है। वहीं, देसी कंपनी की टायर अगर उपलब्ध भी होती है तो उसकी लगात अधिक होगी। इससे वाहन कंपनियों की लागत में वृद्धि होगी। कोरोना संकट के बीच इस समय वाहन कंपनियां कीमत बढ़ाने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में इससे बिक्री प्रभावित हो सकती है।
सूत्रों के अनुसार, चीनी टायर पर निर्भरता खत्म करने के लिए जर्मनी की कंपनी तैयार है। जून महीने में सरकारी अधिकारियों के साथ जर्मन दूतावास में इस संदर्भ में बैठक हुई है। उस बैठक में यह सहमति बनी है कि भारतीय कंपनियों की टायर की जरूरत पूरा करने के लिए जर्मनी की कंपनी मदद करेगी।
रोजमर्रा की खपत के लिए डाबर ने पेश किए आठ नए उत्पाद
एक अनुमान के मुताबिक देश में ऑटो कंपोनेंट का कुल कारोबार पांच लाख 70 हजार करोड़ रुपये का है। चीन से ऑटो पार्ट्स के आयात का सवाल है तो वर्ष 2018-19 में कुल आयात ऑटो पार्ट्स का 27 फीसद चीन से मंगाया गया था। एशिया के सबसे बड़े ऑटो पार्ट्स बाजारों में शामिल दिल्ली के कश्मीरी गेट में 35 से 40 फीसद सामान चीन से आयात होता है। हालांकि, अब चीनी ऑटो पार्ट्स पर निर्भरता खत्म करने की तैयारी में कंपनियां लग गई है। देस के अंदर ही वाहन कंपनियों से उनकी जरूरत के अनुसार पार्ट्स उत्पाद शुरू करने की योजना है।