वाशिंगटन। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन 20 जनवरी को कार्यभार ग्रहण करेंगे। ऐसे में अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन पर यह दबाव रहेगा कि वह दुनिया को एक नए हथियारों के हाेड़ से दूर ले जाए। आखिर क्या है ताजा मामला। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के समक्ष क्या होगी बड़ी चुनौती। क्या है स्ट्रैटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी। चीन होगा बड़ा फैक्टर।
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नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बाइडन के सत्ता संभालते ही इस ट्रीटी को आगे बढ़ाने की बड़ी जिम्मेदारी होगी। बाइडन के लिए यह राह आसान नहीं होगी, क्यों राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन काल में दोनों देशों के बीच इस ट्रीटी को लेकर तमाम मतभेद कायम रहे हैं। दूसरे, चीन की बढ़ती ताकत से निपटने के लिए अमेरिका की नई सामरिक नीति के साथ इस गुत्थी को सुलझाना आसान काम नहीं होगा।
ICMR डायरेक्टर बलराम भार्गव कोरोना पॉजिटिव, AIIMS में भर्ती
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को एक ट्वीट में कहा कि हम अमेरिका के साथ हथियारों के नियंत्रण पर वार्ता करने के लिए राजी हैं, लेकिन लिए हमारे सहयोगियों को भी सकारात्मक रुख दिखाना होगा। उनका यह ट्वीट उस समय आया जब गुरुवार को रूस ने नए हिथयारों की दौड़ के लिए अमेरिका को दोषी ठहराया। रूस ने कहा कि मास्को को हारपरसोनिक हथियार विकसित करने के लिए मजबूर किया गया था।
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नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि में चीन को भी शामिल होने का दबाव है। हालांकि, चीन इस संधि में शामिल होने से लगातार बच रहा है। चीन का कहना है कि उसके परमाणु हथियारों का जखीरा रूस और अमेरिका की तुलना में बहुत छोटा है, इसलिए उसका संधि में शामिल होना जरूरी नहीं। लेकिन हाल में अमेरिका और चीन के बीच जिस तरह से गतिरोध हुआ है, उससे यह टकराव और बढ़ा है।