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वैक्सीन का बूस्टर डोज कितना जरूरी? जानें एक्सपर्ट की राय…

वैक्सीन का बूस्टर डोज कितना जरूरी?

नई दिल्ली. वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके लोगों के भी कोरोना संक्रमित होने के बाद फाइजर ने कहा है कि वो वैक्सीन का तीसरा बूस्टर डोज देने की तैयारी कर रहा है। कई देशों में लोगों को तीसरा बूस्टर डोज दिए जाने पर विचार किया जा रहा है। इजराइल ने तो अपने ऐसे नागरिकों को वैक्सीन का तीसरा डोज देना शुरू भी कर दिया है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है।

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आखिर बूस्टर डोज की जरूरत क्यों है?

दुनियाभर में इस वक्त कोरोना के डेल्टा वैरिएंट की वजह से केस बढ़ रहे हैं। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोग भी संक्रमित हो रहे हैं। अब तक की रिसर्च से ये पता नहीं चला है कि वैक्सीन से बनी एंटीबॉडी आपके शरीर में कब तक रहती है।

हालांकि माना जा रहा है कि शरीर में 9 महीने से 1 साल तक एंटीबॉडी रहती है। उसके बाद आपको बूस्टर डोज लेना होगा। कोरोना के अलग-अलग वैरिएंट पर वैक्सीन की इफेक्टिवनेस भी कम हो रही है। इस वजह से बूस्टर डोज देने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि इस बारे में अभी और रिसर्च की जा रही है।

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बूस्टर डोज पर अलग-अलग देशों की राय

अमेरिका ने कहा है कि लोगों को बूस्टर डोज की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन अभी इस संबंध में और रिसर्च की जा रही है। वैक्सीन की मिक्स एंड मैच स्ट्रैटजी पर भी विचार किया जा रहा है। रिसर्च के रिजल्ट के बाद ही इस बारे में फैसला लिया जाएगा।

इजराइल ने वैक्सीन का बूस्टर डोज देने का फैसला लिया है। हालांकि वहां केवल ऐसे नागरिकों को ही वैक्सीन का बूस्टर डोज दिया जाएगा जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है।

WHO ने कहा है कि इस बात की कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं है कि वैक्सीन का बूस्टर डोज कितना जरूरी है। संगठन ने ये भी कहा है कि विकसित देशों को वैक्सीन का बूस्टर डोज देने की बजाय ऐसे देशों को वैक्सीन देना चाहिए जहां वैक्सीन की कमी है।

भारत का टारगेट पहले अपनी आबादी को ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेट करना है। उसके बाद ही रिसर्च के नतीजों के आधार पर वैक्सीन के बूस्टर डोज के बारे में फैसला लिया जाएगा।

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क्या बूस्टर डोज लेना जरूरी है?

पिछले 1-2 हफ्तों से दुनियाभर में डेल्टा वैरिएंट की वजह से नए मामले बढ़ने लगे हैं। अमेरिका में भी ऐसा हो रहा है, लेकिन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक नए मामले उन इलाकों से सामने आ रहे हैं जहां वैक्सीनेशन कम हुआ है। जिन लोगों को वैक्सीन लग चुकी है, उसके बाद भी संभावना है कि वे कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं। हालांकि उनमें कोरोना के गंभीर लक्षण नहीं देखने को मिल रहे हैं।

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अलग-अलग वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन कितनी कारगर?

वैक्सीन सभी वैरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी बना रही है। ब्रिटेन में फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन की इफेक्टिवनेस पर की गई स्टडी में ये सामने आया है कि फाइजर के दोनों डोज डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित व्यक्ति को हॉस्पिटलाइजेशन से बचाने में 96% कारगर हैं।

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बूस्टर डोज किसे और कब मिलेगा?

वैक्सीन कंपनी फाइजर-बायोएनटेक का दावा है कि बूस्टर डोज डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ और ज्यादा प्रभावी होगा। हालांकि बूस्टर डोज केवल कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को दिया जाएगा। विशेषकर वे लोग जो हृदय, फेफड़े या कैंसर की बीमारी से पीड़ित हैं।

फाइजर के मुताबिक दूसरे डोज के छह महीने बाद तीसरा डोज दे सकते हैं। यह डोज दूसरे डोज के बाद 6 से 12 महीने के भीतर दिया जाना चाहिए।

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