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हम कब तक बैठकर लाशें गिनते रहेंगे, कहकर भावुक हुए गोरखपुर के DM

Gorakhpur DM K.K. Vijayendra Pandian

Gorakhpur DM K.K. Vijayendra Pandian

कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए अधिकारियों ने युद्ध स्‍तर पर तैयारी की है। समितियों के साथ बैठक कर अधिकारी उन्‍हें दिशा-निर्देश दे रहे हैं। इस बीच कोरोना की दूसरी लहर के पीक के दौरान बेड मांगने पर तीमारदार को फटकार लगाने का ऑडियो वायरल होने से चर्चा में आए गोरखपुर के डीएम के. विजयेन्‍द्र पाण्डियन ने इस बात को खुले मंच से स्‍वीकार कर लिया है कि दूसरी लहर इतनी तेज थी कि एक समय ऐसा भी आया, जब अस्‍पताल में एक बेड के लिए लाइन में लगे 100 लोग मरीज के मरने का इंतजार कर रहे थे।

उन्होंने आगे कहा कि लॉकडाउन भी हफ्ता-दस दिन में खोलना मजबूरी है। आर्थिक व्‍यवस्‍था को भी सुदृढ़ रखना है। पहली वेब में पार्षदगण ने बहुत काम किए हैं। कोरोना कैसे आया और चला गया। इस बार जरूर वेरियेंट बहुत तेज है। तीसरे दिन में 80 फीसदी फेफड़ा संक्रमित हो जाता है। पांचवे दिन में सांस फूलने लगती है। सातवें दिन में आदमी खत्‍म हो जाता है। हमें समय ही नहीं बचता है। 1000-1000 आदमी एक दिन में आ जाता थे इलाज के लिए।

बेड किसे दें? ये तय करना भी मुश्किल था- डीएम

उन्होंने कहा कि हालात ऐसे थे कि हम किसे बेड दें किसे नहीं ये तय करना मुश्किल था। एक दिन एक बेड के लिए 100 लोग लाइन में थे। मरीज के मरने के लिए इंतजार कर रहे थे। आदमी मरेगा, तब वो बेड मिलेगा। दोबारा ऐसी स्थिति हमारे किसी के भी जिंदगी में देखने को नहीं मिलनी चाहिए। ये बीमारी तीन साल हमारे साथ रहने वाली है. सभी लोग परिवार को सुरक्षित रखें.

गोरखपुर के जिलाधिकारी के. विजयेन्‍द्र पांडियन गोरखपुर के गोरखपुर क्‍लब में नगर निगम की ओर से आयोजित निगरानी समिति की बैठक में मंच से कर्मियों को संबोधित कर रहे थे। वे इतनी ही बात पर चुप नहीं हुए। तीसरी लहर को लेकर चिंता जताते हुए उन्‍होंने कहा कि दूसरी लहर को लेकर हम लोगों ने प्रयास किया है। थोड़ा बहुत नियंत्रण किए हैं। आगे भी करेंगे। अकेले एक आदमी कर नहीं सकता है. दूसरे साल हम लोग इससे गुजर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि अभी तीन-चार साल हमें इसका सामना करना है। ये महामारी अभी जल्दी नहीं जाने वाली है।

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डीएम के. विजयेन्‍द्र पाण्डियन ने कहा कि ऐसा वे बहुत सारे रिसर्च के बाद कह रहे हैं। फील्‍ड में 24 घंटे काम करने के बाद कह रहा हूं। ये महामारी कैसे रूप ले रही है। भारत में भी हम इसे कंट्रोल कर लेंगे। इसके अलावा बहुत से छोटे देशों ने इसे कंट्रोल किया है। दिल्‍ली में कोई लापरवाही करता है, तो सजा हमें भुगतनी पड़ती है।

उन्होंने आगे कहा कि पता नहीं कितनी वेब आगे आने वाली है और किन-किन को और ले जाने वाली है। हां ये जरूर है कि देश की असली पूंजी जनता है। वही देश है। बाकी चीज बनती बिगड़ती रहती है। हम कितने सतर्क और जागरूक हैं, ये हम पर निर्भर करती है। बहुत से छोटे देश मास्‍क और कुछ देश तकनीक से इससे आजाद हो गए हैं। वहां के लोग मुखिया की बात मानते हैं। इसलिए जिंदगी बची हुई है।

भावुक हुए डीएम

डीएम अपने संबोधन के दौरान भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि हमारी जिम्‍मेदारी कहां खो गई है। ऐसे कब तक हम बैठकर लाशें गिनते रहेंगे। आप उंगली उठाकर बताइए, कोई परिवार छूटा है इससे। मैं खुद भी संक्रमित था। मेरा पूरा परिवार प्रभावित हुआ है। परिवार को दूसरे जगह भेजकर काम कर रहा हूं कि उन्‍हें दोबारा न हो जाए। बहुत से लोग ऐसे हैं। उन्‍होंने चिंता जताते हुए कहा कि कब तक ये लापरवाही चलेगी। ये वायरस हम लोगों का ही इस्‍तेमाल करता है। हम लोगों के मेल-जोल के हिसाब से फैलता है। सावधान होते तो वहीं रुक जाता। सरकार बार-बार तीन चीज कह रही है। दूरी बनाओ, मास्‍क पहनो और सामाजिक दूरी बनाओ।

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उन्होंने कहा कि ये आदत क्‍यों नहीं बन पा रही है। कौन सी महंगी बात है। हम कहां जा रहे हैं। लापरवाही हम क्‍यों कर रहे हैं। अगली वेब में हम अपने बच्‍चो को भी खोएंगे। जब कोई पीढ़ी नहीं बचेगी, तब हम मानेंगे। जून तक बेड की संख्‍या में इतनी वृद्धि कर रहे हैं कि बेड की कोई कमी नहीं रहेगी।

डीएम ने कहा कि हर 5 किलोमीटर में 50-50 बेड मिलेगा। पांच जगह बेड हम बनाने जा रहे हैं। हम 5000 बेड बनाने जा रहे हैं। लेकिन, जब तक निचले स्‍तर पर इसे रोकने के लिए प्रयास नहीं होगा, हम इसे रोक नहीं पाएंगे। गोरखपुर की जनसंख्‍या 55 से 60 लाख है। 55 से 60 हजार लोग पहली और दूसरी वेब में संक्रमित हो चुके हैं। अभी हमारा ग्राफ गिरा है। फिर भी 200 से 300 केस रोज आता है।

इससे पहले निगरानी समिति की बैठक को संबोधित करते हुए मंडलायुक्‍त जयंत नार्लिकर ने कहा कि तीसरी वेब को लेकर हमें सजगता रखनी है। कहा जा रहा है कि ये बच्‍चों को ज्‍यादा प्रभावित कर रही है। इस लिए हमें अच्‍छी तैयारी रखकर सजग रहना है। स्‍वच्‍छता, सेनेटाइजेशन और साफ सफाई से हम इसे रोक पाएंगे। इससे बड़ा पेंडेमिक उन्‍होंने अपने जीवनकाल में नहीं देखी है। इससे ज्‍यादा अज्ञात और सूक्ष्‍म टीका के लिए प्रेरित करने का कार्य पहले नहीं किया है।

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