नई दिल्ली। ब्रिटेन में मिले कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन का भारत में कितना प्रसार हुआ है, यह एक नई तकनीक के जरिये पता किया जाएगा। जीनोम सीक्वेंसिंग का इस्तेमाल करके यह जानकारी जुटाई जाएगी। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए बनाई गई टास्क फोर्स ने इसका सुझाव दिया है। ‘प्रॉस्पेक्टिव सर्विलांस’ के तहत, सभी राज्यों के पॉजिटिव केसेज में से 5% का होल जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट किया जाएगा। कोविड टास्क फोर्स ने कहा कि म्यूटेशंस के बाजवूद ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में बदलाव की जरूरत नहीं है।
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सर्विलांस रणनीति के तहत, 21 से 23 दिसंबर के बीच यूके से भारत आने वाले हर यात्री की जांच हुई है। एयरपोर्ट्स पर जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई, उन्हें ही बाहर जाने दिया गया। मंत्रालय ने कहा, ‘‘ब्रिटेन के सार्स-सीओवी-2 के स्ट्रेन्स का जल्द पता लगाने और इसकी रोकथाम के लिए विस्तृत जीनोमिक निगरानी को जारी रखने का प्रस्ताव है। हालांकि यह समझना महत्वपूर्ण है कि अन्य सभी आरएनए वायरसों की तरह सार्स-सीओवी-2 उत्परिवर्तित (म्यूटेट) होता रहेगा।’’ उसने कहा कि वायरस को सामाजिक दूरी, हाथ साफ रखने, मास्क पहनने जैसे कदमों और उपलब्ध होने पर प्रभावशाली टीके से भी रोका जा सकता है।
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शनिवार को नैशनल टास्क फोर्स ने नए स्ट्रेन के मद्देनजर कोविड के ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल, टेस्टिंग रणनीति और सर्विलांस पर चर्चा की। मीटिंग की अध्यक्षता नीति आयोग के सदस्य विनोद पॉल और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने की। इसके लिए नैशनल सेंटल फॉर डिलीज कंट्रोल के तहत एक जीनोम सर्विलांस कंसोर्टियम, INSACOG बनाया गया है। यह SARS-CoV-2 के फैल रहे स्ट्रेन्स के सर्विलांस के लिए काम करेगा। टास्क फोर्स ने कहा कि SARS-CoV-2 का जीनोम सर्विलांस करना जरूरी है।