नई दिल्ली। देश में ‘बर्ड फ्लू’ ने दस्तक दे दी है। बता दें कि यह पक्षियों में होने वाले फ्लू का मानव संस्करण है जिसे “एवियन इन्फ्लूएंजा” कहा जाता है। मध्यप्रदेश, राजस्थान के बाद अब हिमाचल और केरल राज्य तक बर्ड फ्लू फैल गया है। केरल ने तो इसे राजकीय आपदा घोषित कर दिया है। वहीं हरियाणा में बर्ड फ्लू का खतरा मंडरा रहा है। पंचकूला के बरवाला के पोल्ट्री फॉर्म्स में पिछले कुछ दिनों में लगभग एक लाख मुर्गियों की मौत के बाद हड़कंप मच गया है।
जानें क्या है बर्ड फ्लू?
बर्ड फ्लू यानी एविएन इन्फ्लुएन्ज़ा एक संक्रामक बीमारी है। इन्फ्लुएन्ज़ा वायरस का ये एक स्ट्रेन आमतौर पर पक्षियों को प्रभावित करता है। 90 के दशक में बर्ड फ्लू की नई किस्म की पहचान सामने आई थी। बर्ड फ्लू का नया स्ट्रेन गंभीर बीमारी और मौत का कारण बनने खासकर घरेलू पक्षियों जैसे बत्तख, मुर्गी और टर्की में। उस स्ट्रेन को अत्यधिक रोगजनक यानी बहुत गंभीर और संक्रामक एविएन इन्फलुएन्ज़ा कहा गया और उसका नाम H5N1 दिया गया। वायरस संक्रमित पक्षियों से फैलता है। सेहतमंद पक्षी संक्रमित पक्षियों के दूषित मल या पंख से संक्रमित हो जाते हैं।
क्या बर्ड फ्लू के दौरान चिकन खाना सुरक्षित है?
जब भी बात बर्ड फ्लू की आती है तो सबका ध्यान चिकन और अंडों पर चला जाता है। बता दें कि ये बीमारी मुर्गी खाने से नहीं होती, अगर चिकन ढंग से पकाया जाए, तो आप इसे आराम से खा सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को जारी किए गए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के संयुक्त बयान के अनुसार, अगर खाने को ठीक से पकाया जाता है, तो चिकन, टर्की या अन्य ऐसी चीज़ें खाने के लिए सुरक्षित हैं। साथ ही ये साफ किया कि इस बात का ख्याल रखना भी ज़रूरी है कि संक्रमित पक्षी इस फूड चेन का हिस्सा न बन जाएं।
WHO ने कहा कि जिन क्षेत्रों में पोल्ट्री में एवियन इन्फ्लूएंज़ा का प्रकोप नहीं है, वहां इसे खाने से संक्रमण या मौत का ख़तरा नहीं है। अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है जिसमें मांस खाने से किसी को फ्लू हुआ हो। ये बीमारी आमतौर पर पक्षियों से पक्षियों में फैलती है।
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अगर चिकन, बत्तख, गीस या टर्की को अच्छे तरीके से 70 डिग्री सेल्सियस पर या उससे अधिक तापमान पर पकाया जाए, तो H5N1 वायरस मर जाएगा। साथ ही इस बात का ख्याल रखा जाए कि मांस का कोई भी हिस्सा कच्चा या लाल न रहे, तो इसे खाना सुरक्षित है।
डॉ. मंजीता नाथ दास (इंटरनल मेडिसिन, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, गुड़गांव) ने बताया कि बर्ड फ्लू के फैलने पर चिकन और अन्य पॉल्ट्री उत्पादों को खाने वाले लोगों पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। इसका कारण यह है कि इसे पकाने से फ्लू नष्ट हो जाता है, इसके साथ ही जो बैक्टीरिया होते है वह भी पकाते समय ख़त्म हो जाते हैं। लेकिन कच्चे चिकन को लेकर सावधानी ज़रूर बरतें। चिकन को पकाने वाले बर्तनों और रसोई को पूरी तरह से डिसइन्फेक्ट करें। जहां पर चिकन को रखा गया हो वहां सब्जियां या अन्य खाद्य पदार्थों को न रखें।
किचन में इन बातों का रखें ख्याल
- चिकन या अन्य मांस को जब तक पकाना न हो फ्रिज में ही रखें।
- कच्चे मांस को बाकी खाने की चीज़ों से दूर रखें।
- मांस को पकाने के बाद जिन बर्तन का इस्तेमाल किया गया जैसे- कटिंग बोर्ड, चम्मच को अच्छी तरह धो लें।
- कच्चे मांस को छूने के बाद हाथों को ज़रूर धो लें।
- चिकन को अच्छी तरह पकाएं।
- बचे हुए खाने को फौरन फ्रिज में रखें या फिर फेंक दें।