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पेगासस कांड पर सुनवाई को कैसे राजी हुई सुप्रीम कोर्ट, जानें क्या है वजह…   

नई दिल्ली. पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच की अर्जी पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। कोर्ट ने कहा है कि अगले हफ्ते इसकी सुनवाई की जाएगी। इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार ने पिटीशन फाइल की है।

लेकिन क्या आपने सोचा कि सुप्रीम कोर्ट के मानने के पीछे क वजह क्या रही होगी। पिछले कई दिनों से देश के दोनों सदनों में कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही हैं। विपक्ष लगातार पेगासस जासूसी पर सरकार से जांच कि मांग कर रहे हैं जवाब मांग रहें हैं हालांकि भाजपा सरकार ये कहती नजर आ रही है कि पेगासस कोई मुद्दा ही नहीं है।

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सुप्रीम कोर्ट के मानने के पीछे की क्या है वजह….

दरअसल पेगासस जासूसी मामले में देश के 500 से ज्यादा हस्तियों और संस्थाओं ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना को चिट्टी लिखकर दखल देने की मांग की थी। इन लोगों ने भारत में इजराइली कंपनी एनएसओ (NSO) के पेगासस स्पाइवेयर की खरीद और इस्तेमाल को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं।

लेटर के जरिए इन हस्तियों और संस्थाओं ने सुप्रीम कोर्ट से खुद दखल देने और जांच करने की गुहार लगाई है। लेटर में सवाल किया गया है कि भारत में इस स्पाइवेयर की खरीद किसने की थी? इसका पेमेंट किसने किया और इसे खरीदने के पीछे उद्देश्य क्या था?

लेटर में शीर्ष कोर्ट की एक अधिकारी के कथित जासूसी मुद्दे का भी हवाला दिया गया है, जिन्होंने तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। इन लोगों ने मीडिया में आई इन खबरों पर हैरानी जताई है कि स्पाइवेयर का इस्तेमाल उद्योगपतियों, जर्नलिस्ट, राजनेताओं, वकीलों, मानवाधिकार एक्टिविस्टों की निगरानी के लिए किया गया।

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लेटर में इन हस्तियों के नाम शामिल

लेटर लिखने वालों में एक्टिविस्ट अरुणा रॉय, हर्ष मंदर, अंजली भारद्वाज, वकील वृंदा ग्रोवर, जूमा सेन, प्रतीक्षा बक्शी, शिक्षाविद व साइंटिस्ट जोया हुसैन, रोमिला थापर, लेखक अरुंधति राय, RJD सांसद मनोज झा, जर्नलिस्ट अनुराधा भसीन आदि शामिल हैं। इसके अलावा रिटायर सरकारी अधिकारी, रिटायर आर्म्ड फोर्स के अधिकारियों के भी हस्ताक्षर हैं।

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