हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है। इस साल मोहिनी एकादशी का व्रत 8 मई 2025 को रखा जाएगा। अगर आप भी मोहिनी एकादशी का व्रत पहली बार रखने जा रहे हैं, तो चलिए जानते हैं कि मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) का व्रत कैसे करना चाहिए और मोहिनी एकादशी व्रत के क्या नियम हैं।
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) व्रत कैसे रखा जाता है?
मोहिनी एकादशी का व्रत रखने के लिए कुछ क्रम का पालन करना जरूरी है। अगर आप इन क्रमों को ध्यान में रखकर व्रत रखते हैं, तो आपको एकादशी व्रत का पूरा फल मिल सकता है। मोहिनी एकादशी का व्रत कैसे करें, इसकी विधि नीचे बताई गई है:-
1- सुबह की शुरुआत:- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, साफ-सुथरे कपड़े धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
2- भगवान विष्णु की पूजा:- भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें फूल, तुलसी दल, पीले वस्त्र और मिठाई अर्पित करें।
3-पूजा सामग्री:- पूजा सामग्री में फल, फूल, माला, धूप, दीप, नैवेद्य, चंदन, कलावा, घंटी, शंख, पीला कपड़ा, एक चौकी, भगवान विष्णु की प्रतिमा या फोटो, गंगाजल, घी, रूई की बत्ती, मिठाई, श्रृंगार की चीजें, वस्त्र आदि शामिल करें।
4-भगवान को भोग:- एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पंचामृत, फल और मिठाई का भोग लगाएं।
5- तुलसी का महत्व:- भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय होती है, इसलिए भोग में तुलसी के पत्ते जरूर शामिल करें।
6- व्रत कथा:- मोहिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए।
7- आरती और भोग:- पूजा करने के बाद आरती करें और भगवान को भोग लगाना चाहिए।
8- माता लक्ष्मी की पूजा:- इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी करनी चाहिए।
10- पारण:- द्वादशी तिथि को प्रदोष व्रत से पहले एकादशी का पारण कर लेना चाहिए।
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) करने से क्या होता है?
धार्मिक मान्यता है कि मोहिनी एकादशी के पावन दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से समस्त पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। मोहिनी एकादशी के दिन जो व्यक्ति व्रत रखता है, उसे अक्षय पुण्य की भी प्राप्ति होती है। साथ ही, वह व्यक्ति जन्म और मृत्यु के निरंतर चक्र से मुक्ति पा लेता है। इसके अलावा, मोहिनी एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं।
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) क्यों मनाते हैं?
मोहिनी एकादशी के दिन का भक्तों के लिए बहुत महत्व है, क्योंकि भगवान विष्णु इस दिन अप्सरा के रूप में प्रकट हुए थे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मोहिनी अवतार धारण किया था। भक्त इस दिन कठोर उपवास रखकर इस एकादशी को मनाते हैं और श्रीहरि विष्णु की पूजा करते हैं।
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) पर क्या नहीं करना चाहिए?
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) पर तामसिक भोजन और नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से पाप लग सकता है और मां लक्ष्मी आपसे अप्रसन्न जा सकती हैं। मोहिनी एकादशी के दिन मांस, शराब, लहसुन, प्याज आदि का सेवन करने से बचना चाहिए। मोहिनी एकादशी के दिन किसी से भी झगड़ा और विवाद न करें।
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) की पूजा में कौन-कौन सी सामग्री लगती है?
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति, लकड़ी की चौकी, पीला कपड़ा, फल, पीले रंग के फूल, धूप, दीप, चंदन, हल्दी, सिंदूर, घी, पान, सुपारी, तुलसी, नारियल, अक्षत, पंचामृत, शकरकंद, मिठाई, गन्ना, सिंघाड़ा, आंवला, मूली, सीताफल, केला और कोई मौसमी फल आदि।
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) व्रत के क्या नियम हैं?
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) व्रत रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं जिनका पालन करना चाहिए। एकादशी व्रत के नियम नीचे बताए गए हैं-
– एकादशी व्रत में अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए, सिर्फ फलाहार करें या जल ग्रहण करें।
– एकादशी व्रत तीन दिन तक मान्य होता है, दशमी, एकादशी और द्वादशी।
– दशमी के दिन चने-मसूर की दाल, साग और किसी दूसरे घर का कुछ भी नहीं खाना चाहिए।
– एकादशी के दिन कांसे के बर्तन में कुछ भी नहीं खाना या पीना चाहिए।
– एकादशी के दिन भगवान विष्णु को खासतौर से तुलसी और तिल चढ़ाना चाहिए।
– एकादशी व्रत उत्पन्ना एकादशी से शुरू करना सबसे शुभ माना गया है।
– एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में जल नहीं चढ़ाना चाहिए और न ही पत्ते तोड़ने चाहिए।
क्या मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) पर पानी पी सकते हैं?
मोहिनी एकादशी का उपवास निर्जला रखना चाहिए, इस दिन पानी भी नहीं पीना चाहिए। अगर आप निर्जला व्रत न रखकर फलाहार व्रत रख रहे हैं, तो आप पानी पी सकते हैं। मोहिनी एकादशी पर साबुन से नहीं नहाना चाहिए।
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) के व्रत में क्या खाना चाहिए?
– फल (आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता आदि)
– साबूदाना, सिंघाड़ा, शकरकंद, आलू और मूंगफली
– कुट्टू के आटे से बनी रोटियां
– दूध और दही
– कुछ प्रकार के मेवे
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए?
– चावल
– मसूर दाल
– बैंगन, गाजर, शलगम, पालक, गोभी आदि
– मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन
– तामसिक भोजन
– कांसे के बर्तन में भोजन
– किसी का दिया हुआ अन्न