नई दिल्ली। पाकिस्तान की जेल में कैद भारतीय नागरिक और पूर्व नौसेना ऑफिसर कुलभूषण जाधव को लेकर एक बार फिर से खींचतान शुरू हो गई है। पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा है।
जाधव को मौत की सजा सुनाई गई है। सजा के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दाखिल करने के लिए जाधव के सामने 20 जुलाई तक का वक्त है। पिछले दिनों पाकिस्तान ने झूठ बोलते हुए कहा था कि जाधव रिव्यू पिटिशन के पक्ष में नहीं है। ऐसे में अगले 4 दिनों के अंदर भारत को पाकिस्तान के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठाना पड़ेगा।
बता दें कि पिछले साल आईसीजे ने पाकिस्तान को फांसी की सजा पर रोक लगाने और फैसले के पुनर्विचार का आदेश दिया था। आईए एक नजर डालते हैं कि इस केस में अब तक क्या हुआ है और भारत के सामने क्या विकल्प हैं?
भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि वह बिना किसी शर्त के जेल में कैद भारतीय नागरिक और पूर्व नौसेना ऑफिसर कुलभूषण जाधव को काउंसलर एक्सेस दे। काउंसलर एक्सेस का मतलब है कि उन्हें भारत के राजनयिक या अधिकारी को जेल में उनसे मिलने की इजाजत देना। पिछले हफ्ते भारत ने कहा था कि वो इस मामले में कानूनी विकल्पों को टटोल रहा है।
पिछले हफ्ते पाकिस्तान ने दावा किया था कि जासूसी के आरोप में सैन्य अदालत से मौत की सजा पाए जाधव ने पुनर्विचार याचिका दायर करने से इनकार कर दिया है।
पिछले हफ्ते विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा था, ‘इस चरण में, हम अपने कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। हम भारतीय नागरिक की जिंदगी बचाने के लिये पूरी कोशिश करेंगे।
पिछले दिनों पाकिस्तान ने कहा था कि जाधव ने विकल्प दिये जाने के बावजूद अपनी सजा के खिलाफ इस्लामाबाद हाई कोर्ट में अपील दायर करने से इनकार कर दिया है। सके कुछ घंटों बाद ही भारत ने पाकिस्तान के इस दावे को “स्वांग” करार देते हुए कहा कि जाधव को अधिकार छोड़ने के लिये “मजबूर” किया गया।
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पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त जाधव को जासूसी और आतंकवाद के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी। इसके कुछ हफ्तों बाद भारत ने जाधव को दूतावास पहुंच नहीं दिये जाने और उसे सुनाई गई मौत की सजा को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में अपील की थी। आईसीजे ने तब पाकिस्तान को सजा पर अमल करने से रोक दिया था।
पिछले साल यानी 2 सितंबर 2019 को पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को पहली बार कॉन्सुलर एक्सेस दिया था। उस वक्त इस्लामाबाद में भारत के उप उच्चायुक्त गौरव अहलूवालिया ने उनसे मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद भारत की ओर से कहा गया था कि पाकिस्तान कुलभूषण जाधव पर गलत बयान देने के लिए काफी दबाव बना रहा है। 2016 में हिरासत में लिए जाने के बाद जाधव तक भारत की ये पहली राजनयिक पहुंच थी।
कुलभूषण जाधव पाकिस्तान की जेल में साल 2016 से हैं। पाकिस्तान आरोप लगाता है कि कुलभूषण जाधव एक जासूस है। हालांकि, भारत की ओर से इस दावे को कई बार नकारा जा चुका है। पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने 3 मार्च 2016 को जासूसी और आतंकवाद के आरोप में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया था।
कुछ दिन पहले हरीश साल्वे ने कहा था कि उन्हें वापस लाने के लिए कई बार बैक-चैनल से वहां की सरकार को मनाने की कोशिशें की गईं। साल्वे इस केस में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में भारत के कॉउंसिलर थे. साथ ही वो भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल भी हैं।
हरीश साल्वे ने लंदन में कहा था ‘हमें उम्मीद थी कि पाकिस्तान से पिछले दरवाजे से बातचीत करने पर हम उन्हें मना लेंगे। हम उन्हें मानवीय आधार पर छोड़ने की बात कर रहे थे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। दरअसल कुलभूषण जाधव का मामला पाकिस्तान के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गया था।
साल्वे का कहना है कि इस बारे में अब हम विचार कर रहे हैं कि क्या हमें फिर से ICJ जाना चाहिए या नहीं। दरअसल पाकिस्तान ने इस बारे अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान ने इस बारे में अभी तक FIR की कॉपी शेयर नहीं की है। इसके अलावा पाकिस्तान की तरफ से चार्जशीट की कॉपी भी नहीं दी गई है। बार-बार कहने के बाद भी पाकिस्तान की तरफ से कोई सबूत नहीं दिया जा रहा है।