इटली में एक ज्वालामुखी है, जिसने 2000 साल पहले रोमन साम्राज्य पर भयानक आफत बरसाई थी। इस ज्वालामुखी के विस्फोट से पोम्पेई, हर्कुलैनियम, ओप्लोंटिस और स्टेबियाए नाम के शहर पूरी तरह से खत्म हो गए थे। चारों तरफ लावा ही लावा था। राख थी। कहते हैं उस समय इस ज्वालामुखी विस्फोट से 1000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। उसी में से एक इंसान का कंकाल अभी मिला है। किस्मत से इसके अवशेष काफी ज्यादा सुरक्षित हैं। क्योंकि ज्यादातर लोगों के शरीर तो भाप बनकर उड़ गए थे।
ये कंकाल हर्कुलैनियम (Herculaneum) के प्राचीन तट के पास मिला है। पुरातत्वविदों का मानना है कि यह ज्वालामुखी से बचने के लिए भाग रहा था लेकिन आगे जाने का रास्ता था नहीं, और यह मारा गया। यह समुद्र से कुछ फीट की दूरी पर ही मारा गया। माउंट वेसुवियस ज्वालामुखी (Mount Vesuvius Volcano) AD 79 में भयानक स्तर पर फटा था। जिससे रोम का प्रसिद्ध शहर पोम्पेई (Pompei) पूरी तरह से खत्म हो गया था।
आर्कियोलॉजिस्ट का मानना है कि यह जिस व्यक्ति का कंकाल है, वह करीब 40 से 45 साल की उम्र का रहा होगा। वह किसी बोट शेड (Boat Shed) की तलाश में था। यह ऐसी जगहें होती थीं, जहां पर मछुआरे पत्थरों के अंदर अपने जाल और यंत्र रखते थे। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। यह व्यक्ति इसके पहले की खुद को बचा पाता। वेसुवियस ज्वालामुखी से पाइरोक्लास्टिक मलबे ने इसे निगल लिया। कहते हैं कि ज्वालामुखी के विस्फोट से पाइरोक्लास्टिक बादलों का बहाव 100 किलोमीटर प्रतिघंटा था। हर्कुलैनियम आर्कियोलॉजिकल पार्क के डायरेक्टर फ्रांसेस्को सिरानो ने बताया कि जब इस इंसान के पास पाइरोक्लास्टिक बादल आए होंगे, तब उनका तापमान 500 डिग्री सेल्सियस रहा होगा। उस समय इस बादल के सामने जो भी आया वो भाप बन गया। इस इंसान की तरह। लेकिन इसका कंकाल इसलिए बच गया क्योंकि यह समुद्र से कुछ फीट दूर ही मरा, पाइरोक्लाइस्टिक बादल जैसे ही समुद्र से टकराए होंगे, उसकी लहरें जमीन में काफी अंदर तक आई होंगी। जिससे पाइरोक्लास्टिक लावा ठंडा हो गया। सिरानो ने बताया कि इस इंसान के कंकाल को देखकर लगता है कि जब यह मरा तब इसकी शक्ल समुद्र के उलटी तरफ यानी जमीन की तरफ थी। क्योंकि यह पाइरोक्लाइस्ट बादल के रूप में आती हुई मौत को देख रहा था। इसका शरीर जलता हुआ पाइरोक्लास्टिक बादलों के साथ समुद्र के किनारे तक पहुंचकर ठंडा हो गया। जिसकी वजह से हमें आज ये कंकाल सही-सलामत मिला है।
हर्कुलैनियम (Herculaneum) नेपल्स की खाड़ी के किनारे बसा एक प्राचीन रोमन शहर है। यह पोम्पेई शहर से 13 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। कहते हैं कि हर्कुलैनियम ज्वालामुखी की गर्म राख से पूरी तरह ढंक गया था। यहां इतनी राख थी कि 18वीं सदी तक इस शहर पर आने की किसी की हिम्मत नहीं हुई। लेकिन उसके बाद इस शहर के प्राचीन वस्तुओं आदि की खोज करके उन्हें लूटा गया। ऐसा माना जाता है कि वेसुवियस ज्वालामुखी के फटने से सबसे ज्यादा 300 लोगों की मौतें हर्कुलैनियम में हुई थी।
इनमें से ज्यादातर पत्थरों के बोट शेड में ही छिपे थे। उन्हें उम्मीद थी कि पाइरोक्लास्टिक बादलों के हटने के बाद समुद्र के रास्ते उन तक मदद पहुंचेगी। लेकिन ऐसा हुआ ही नहीं। इस घटना के 25 साल बाद रोमन लेखक प्लिनी द यंगर ने लिखा था कि उनके अंकल प्लिनी द एल्डर जो रोमन नौसेना के एडमिरल थे, उन्होंने हर्कुलैनियम में लोगों को बचाने का आदेश दिया था लेकिन सफलता नहीं मिली। वो खुद भी पास के कस्बे स्टेबियाए में मारे गए थे। (फोटोः गेटी)
इस कहानी की पुष्टि इस बात से होती है कि इस साल पुरातत्वविदों ने एक रोमन नौसैनिक के अवशेष को खोजा था, जो हर्कुलैनियम में मिला था। यानी प्लिनी द एल्डर ने सैनिकों को लोगों को बचाने का निर्देश दिया था। लेकिन अभी जिस इंसान का कंकाल मिला है, उसके पास से एक बक्सा भी मिला है, जिसमें किसी कपड़े के बचे-कुचे टुकड़े हैं। इसके अलावा धातु से बना कोई सामान जैसे अंगूठी। हालांकि इस इंसान से जुड़ी अन्य वस्तुओं की अध्ययन करना अभी बाकी है।
पुरातत्वविदों का मानना है कि माउंट वेसुवियस ज्वालामुखी (Mount Vesuvius Volcano) ने दो बार पाइरोक्लास्टिक लावा विस्फोट किया था। जिसकी वजह से हर्कुलैनियम में मौजूद 5 हजार लोगों में से सिर्फ एक हजार लोग ही बच पाए थे। जबकि सबसे ज्यादा तबाही पोम्पेई शहर में मची थी। पाइरोक्लास्टिक बादलों में ऑक्सीजन की कमी होती है, जिसकी वजह से लोग मारे जाते हैं। इस सही सलामत कंकाल से कई रहस्यों का खुलासा होगा