कोरोना संक्रमण के कठिन समय में मानवता तार तार हो रही है। उत्तर प्रदेश के शामली जिले में एक महिला के शव को श्मशान भूमि तक पहुंचाने के लिये चार कंधों का भी सहारा नहीं मिला। लाचार भाई ने नगर पंचायत से मदद मांगी तो उसने शव के लिये कचरा गाड़ी भेज दी।
नगर पंचायत की इस कारस्तानी को किसी ने मोबाइल रिकार्डिंग कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इस घटना ने खुद को सभ्य कहने वाले समाज को शर्मसार किया है। जिले के कस्बा जलालाबाद में मोहल्ला मोदीगज के रहने वाले डॉक्टर प्रवास कुमार ने कहा कि वह 2002 मे यहां आकर रहने लगे थे और अपनी प्राथमिक उपचार की प्रैक्टिस कर रहे थे। उनकी 50 वर्षीय बहन बालमति को ब्रेन हेमरेज हो गया था जिसके कारण वह अपने दैनिक दिनचर्या के काम भी नहीं कर पा रही थी।
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प्रमिला की रविवार की सुबह लगभग चार बजे मौत हो गई। डा. प्रवास ने आसपास पड़ोसियों से अंतिम संस्कार करने के लिए मदद मांगी, लेकिन कोरोना काल के चलते जब पड़ोसी आगे नहीं आया तो चिकित्सक ने नगर पंचायत जलालाबाद को एक प्रार्थना पत्र देकर मदद की गुहार लगाई। नगर पंचायत ने संवेदनहीनता दिखाते हुए महिला के शव को कूड़े के वाहन में रखकर उसे शमशान घाट के लिए भिजवा दिया।
महिला के शव को कूड़े के वाहन में रखकर शमशान घाट तक ले जाया जा रहा था, तभी कस्बे के किसी व्यक्ति ने अपने फोन में यह फोटो कैद कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। अब मानवता को तार-तार करने वाला फोटो देखकर हर कोई नगर पंचायत जलालाबाद की संवेदनहीनता पर खरी खोटी सुना रहा है।
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लोगों का कहना है कि जब सरकार ने निधन के बाद अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी स्थानीय निकाय या ग्राम पंचायत को सौंप दी है और उसका अंतिम संस्कार उसके धार्मिक रीति रिवाज के अनुसार करने के आदेश जारी कर रखे है तो ऐसी लापरवाही पर कार्रवाई तो बनती है।