लखनऊ| प्रदेश के अभियंत्रण विभागों और निगमों में इंजीनियरों के सैकड़ों पद खाली है, मगर यह खाली पद न तो सीधी भर्ती से और न ही डीपीसी करवाकर सीधी भर्ती से भरे जा रहे हैं। लोक निर्माण विभाग, सिंचाई, पावर कारपोरेशन, सेतु निगम, निर्माण आदि में सहायक अभियंता के लगभग 30 प्रतिशत खाली पड़े हैं।
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यूपी इंजीनियर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष इंजीनियर सुरजीत सिंह निरंजन का कहना है कि सहायक अभियंता की सीधी भर्ती हर साल होनी चाहिए, नियमावली भी बन गयी है। मगर अब भी यह भर्ती कई-कई साल के अंतराल से हो रही हैं। सिंचाई विभाग में 30 जून तक प्रमुख अभियंता का 1, मुख्य अभियंता स्तर-1 के 3, मुख्य अभियंता स्तर-2 के 11, अधीक्षण अभियंता के 29 और अधिशासी अभियंता के 233 पद रिक्त चल रहे थे। लोक निर्माण विभाग में प्रमुख अभियंता के 4, मुख्य अभियंता स्तर-1 के 6, मुख्य अभियंता स्तर-2 (सिविल) के 33, अधीक्षण अभियंता (सिविल) के 66 और अधिशासी अभियंता (सिविल) के 194 पद खाली हैं।
यूपी इंजीनियर्स एसोसिएशन ने मांग की है कि राज्य के अभियंत्रण विभागों में सहायक अभियंता के सीधी भर्ती (डिग्री धारक) के रिक्त पदों पर नियमित भर्ती की जाए। इस समय सीधी भर्ती में सहायक अभियंताओं के लगभग 30 प्रतिशत पद रिक्त हैं।
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एसो. ने यह भी मांग की है कि अभियंत्रण विभागों में कार्यरत इंजीनियरों के लंबित जांच प्रकरणों का समयबद्ध निस्तारण किया जाए। केन्द्र सरकार में कार्यरत इंजीनियरों की ही तरह राज्य सरकार के मुख्य अभियंता व प्रमुख अभियंता व विभागाध्यक्ष का वेतनमान स्वीकृत किया जाए। प्रांतीय चिकित्सा सेवा की ही तरह अभियंत्रण विभागों ममें इंजीनियरों को 5 वर्ष की सेवा के बाद प्रथम एसीपी स्वीकृत की जाए।