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सैकड़ो लोग गंवा चुके जान, फिर भी 300 साल पुरानी परंपरा बंद करने को राजी नहीं लोग

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एमपी के छिंदवाड़ा में पिछले 300 साल से एक चली आ रही है। परंपरा को स्थानीय लोगों ने इस साल भी मंगलवार को पूरा किया। इस सालाना गोटमार मेले के दौरान 400 से अधिक लोग घायल हो चुके है। इन लोगों में दो लोग गंभीर रूप से घायल हैं। इस मेले में हर साल जाम नदी के तट पर सैकड़ों पुरानी परंपरा के तहत दो गांव के लोग एक दूसरे पर पत्थर फेंक कर मारते हैं।

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हालांकि, इस मेले में हर साल गंभीर रूप से चोटिल लगने और घायल होने के बावजूद कोई भी कोई भी इस परंपरा छोड़ने को राजी नहीं है। इसके पहले के मेले में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी हैं। इस बार घायलों में अधिकतर नाबालिग लोग हैं। अधिकारियों ने कहा है कि जनपद के पांढुर्ना कस्बे के पास इस वार्षिक पत्थर मारने के मेले के लिए 1,000 से अधिक पुलिस वालों और 35 डॉक्टरों के एक दल को तैनात किया गया था। मेले में ड्रोन कैमरों के माध्यम से भी स्थिति की निगरानी की गई है। जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ जीसी चौरसिया ने कहा कि मंगलवार को गोटमार मेले के चलते चार सौ से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।

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