उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि वे और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साथ थे, साथ हैं और साथ रहेंगे, यदि बीच में कोई दीवार आई तो उसे गिरा देंगे। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के केशव के घर भोजन के बाद आए इस बयान ने प्रदेश में नई राजनीति का संकेत दिया है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि मीडिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उनके घर आने का अलग-अलग अर्थ निकाल रहा है। जबकि ऐसा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरे बेटे की हाल ही में शादी हुई है। बेटे और पुत्रवधू को आशीर्वाद देने के लिए योगी जी आये थे, यह खुशी की बात है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा की निषाद पार्टी सहित सहयोगी दलों से उच्च स्तर पर बातचीत जारी है। उन्होंने कहा कि भाजपा के लिए यूपी की एक-एक पार्टी महत्वपूर्ण है, एक-एक कार्यकर्ता और समाज का हर हिस्सा महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में सपा, बसपा और कांग्रेस एक होकर भी भाजपा को नहीं हरा सकते हैं। भाजपा फिर 300 से अधिक सीटें जीतकर सरकार बनाएगी।
दरअसल, राजधानी लखनऊ में मंगलवार को तेजी से चले सियासी घटनाक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत संघ और भाजपा के दिग्गज नेताओं ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के घर पहुंचकर पार्टी में एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की। साढ़े चार साल में यह पहला मौका था जब सीएम योगी मौर्य के आवास पर गए।
बहाना भले ही केशव मौर्य के पुत्र के विवाह के बाद भोज का था लेकिन जिस तरह से मौर्य के आवास पर सीएम योगी समेत संघ और भाजपा के दिग्गज नेताओं का जमावड़ा हुआ उससे यह साफ संकेत मिला कि यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर संघ और भाजपा नेतृत्व किसी तरह का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है। चुनावी रणनीतिकार लोगों के बीच यह संदेश नहीं जाने देना चाहते कि पार्टी में खींचतान या नेताओं के बीच किसी तरह का मनमुटाव है।
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बी.एल. संतोष, आरएसएस के सर कार्यवाह दतात्रेय होसबाले और सह सर कार्यवाह कृष्णगोपाल व संघ के क्षेत्रीय पदाधिकारियों ने पूर्वाह्न पहले भाजपा दफ्तर में पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इसके बाद सभी लोग केशव मौर्य के आवास पर दोपहर भोज में पहुंचे। इसमें मुख्यमंत्री भी शामिल हुए।
सीएम योगी के केशव मौर्य के आवास पर पहुंचने के पीछे पार्टी में एकजुटता का संदेश देने की रणनीति मानी जा रही है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि विधानसभा चुनाव से पहले संघ के शीर्ष पदाधिकारियों की मौजूदगी में सीएम योगी व केशव मौर्य की मुलाकात के जरिये यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि दोनों के बीच कोई मनमुटाव नहीं है। आरएसएस और भाजपा नेतृत्व तकरार को खत्म कर कार्यकर्ताओं के साथ अपने वोट बैंक को एकजुटता का संदेश देने की कोशिश में जुटे हैं।
इसी कड़ी में एक अहम बात यह रही कि केशव के घर हुई एकजुटता की इस बड़ी पहल के बाद भाजपा प्रदेश मुख्यालय में योगी मंत्रिपरिषद की बैठक में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी, पूर्व वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल, पूर्व बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री अनुपमा जायसवाल सहित अन्य प्रमुख लोगों को भी आमंत्रित किया गया। इस बैठक में सभी को सामंजस्य बनाकर विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत के साथ जुटने का पाठ पढ़ाया गया।
भाजपा के उच्चपदस्थ सूत्रों की मानें तो सोमवार रात मुख्यमंत्री आवास पर हुई भाजपा कोर कमेटी बैठक के दौरान नेताओं ने केशव मौर्य को उनके पुत्र के विवाह की शुभकामनाएं व बधाइयां दीं तो केशव ने सभी को मंगलवार को दोपहर अपने घर पर भोजन पर आमंत्रित कर लिया। करीब 100 मीटर की ही दूरी पर रहते हुए सीएम योगी साढ़े चार साल में कभी केशव के घर नहीं गए।
मंगलवार दोपहर जब योगी केशव के घर भोजन पर पहुंचे तो सियासी गलियारे के साथ-साथ मीडिया और प्रशासनिक हलकों में हलचल तेज हो गई। जानकारों का मानना है कि संघ के शीर्ष पदाधिकारियों की मौजूदगी में हुई मुलाकात की फोटो भी जारी की गई ताकि पिछड़े वोट बैंक के साथ कार्यकर्ताओं में यह संदेश जाए कि दोनों के बीच कोई मतभेद या मनभेद नहीं है।