राज्यसभा चुनाव के दौरान बसपा में बगावत के लिए समाजवादी पार्टी को जिम्मेदार ठहराते हुए बदला लेने की बात करने वाली मायावती सोमवार को डैमेज कंट्रोल करती दिखीं।
एमएलसी चुनाव में सपा को हराने के लिए बीजेपी को वोट डालने वाले बयान के बाद मायावती ने कहा कि उनके इस बयान को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस मुसलमानों को भड़काने का षड्यंत्र कर रही है। उन्होंने मुसलामानों को आश्वासन दिया कि वह राजनीति से तो संन्यास ले सकती हैं, लेकिन भविष्य में बीजेपी से कभी गठबंधन नहीं करेंगी।
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दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि 29 अक्टूबर को दिए गए उनके बयान को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस बसपा उर बीजेपी के बीच गठबंधन की अफवाह खड़ी कर रही है। उन्होंने कहा कि जैसे को तैसा की नीति के तहत उन्होंने कहा था कि एमएलसी चुनाव में सपा प्रत्याशी को हराने के लिए उनकी पार्टी वोट करेगी। चाहे वह बीजेपी हो या एनी कोई मजबूत उम्मीदवार बसपा उसे वोट करेगी। लेकिन इस बयान को सपा और कांग्रेस ने षड्यंत्र की तरह इस्तेमाल किया और मुसलमानों को बरगलाने का काम कर रहे हैं।
मायावती ने आगे बोलते हुए कहा कि उन्होंने जब पहले बीजेपी से गठबंधन किया था तब भी वह नहीं झुकी थीं। उन्होंने कहा कि मैंने सत्ता का त्याग कर दिया लेकिन बीजेपी के आगे झुकी नहीं। उन्होंने कहा कि वे चार बार मुख्यमंत्री रहीं, लेकिन कभी भी हिंदू-मुस्लिम दंगा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने उनपर दबाव डालने के लिए सीबीआई और ईडी का इस्तेमाल किया। लेकिन तब भी वे नहीं झुकीं।
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मायावती ने कहा कि बीजेपी की विचारधारा और उनकी पार्टी की विचारधारा अलग है। उन्होंने कहा कि 2003 में जब केंद्र में बीजेपी की सरकार थी तो उन्हें झूठे केस में फंसाकर गठबंधन का दबाव बीजेपी ने बनाया। उस वक्त सोनिया गांधी ने उनसे फोन पर बात की थी और कहा था कि मेरे साथ अन्याय हो रहा है, कांग्रेस की सरकार आने पर उनके साथ न्याय होगा। लेकिन उसके बाद कई सालों तक कांग्रेस की सरकार केंद्र में रही लेकिन उन्होंने भी कुछ नहीं किया।
मायावती ने कहा कि ‘मैं मुसलमानों से साफ़ कह देना चाहती हूं कि बीजेपी के साथ कभी गठबंधन नहीं करूंगी। राजनीति से संन्यास ले लूंगी, लेकिन गठबंधन नहीं करूंगी.’ हालांकि उन्होंने कहा कि न ही वह राजनीति से संन्यास लेने जा रही हैं और न ही किसी के दबाव में वाली हैं।