नई दिल्ली। गृह मंत्रालय ने एक महिला के यौन उत्पीड़न के आरोप में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव रहे एजीएमयूटी कैडर के आईएएस अधिकारी जितेंद्र नारायण को निलंबित (Suspended) करने का आदेश दिया।
गृह मंत्रालय को कल इस संबंध में एक शिकायत/संदर्भ प्राप्त हुआ था। एमएचए ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सोमवार को तत्काल प्रभाव से जितेंद्र नारायण के निलंबन का आदेश दिया। इस मामले में पहले ही प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। इस बीच नारायण के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के भी आदेश दिए गए हैं। नारायण वर्तमान में दिल्ली वित्तीय निगम के सीएमडी के पद पर तैनात हैं।
बता दें कि अंडमान और निकोबार में एक 21 वर्षीय लड़की ने आरोप लगाया था कि उसे सरकारी नौकरी का झांसा देकर मुख्य सचिव के घर ले गया था। वहां उसके साथ शीर्ष अधिकारियों ने सामूहिक रेप किया है। इस मामले में सरकार ने जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया है। लड़की का कहना है कि उसके साथ ये घटना इसी साल अप्रैल-मई में हुई। इस मामले में पुलिस ने 1 अक्टूबर को आरोपी आईएएस जितेंद्र नारायण और आरएल ऋषि के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। जितेंद्र नारायण तीन महीने पहले तक अंडमान और निकोबार के मुख्य सचिव रहे हैं। जबकि आरएल ऋषि श्रम आयुक्त हैं।
आरोपी अफसर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी
केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) की तरफ से बताया गया है कि 16 अक्टूबर को IAS जितेंद्र नारायण के खिलाफ शिकायत मिली थी, जिसमें गंभीर कदाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग का आरोप था। मामला सामने आते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सख्त कानूनी कार्रवाई के आदेश दिए थे। जिसके बाद मंत्रालय ने जितेंद्र नारायण, आईएएस (एजीएमयूटी: 1990) को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया है।
महिलाओं के खिलाफ अपराध पर जीरो टॉलरेंस की नीति
सरकार की अनुशासनहीनता बरते जाने पर जीरो टॉलरेंस की नीति है। खासकर महिलाओं की गरिमा से जुड़ी घटनाओं के संबंध में कोई भी अपराध क्षम्य नहीं होगा। अंडमान एवं निकोबार पुलिस की एसआईटी द्वारा अलग से आपराधिक मामले में प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है। बताते चलें कि पोर्ट ब्लेयर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने युवती की याचिका के आधार पर केस दर्ज करने का आदेश दिए थे, जिसके बाद पुलिस ने एक्शन लिया था।