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लहरों में खोया 13 साल का बच्चा, समंदर में ‘गणेश जी’ बने मासूम का सहारा

Ganesh

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सूरत। जाको राखे साइयां मार सके ना कोई, बाल ना बांका कर सके चाहे जग बैरी होय… यह कहावत एक बार फिर से गुजरात के सूरत में एक बच्चे पर सटीक बैठी है। गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan) के दूसरे दिन यानी 29 सितंबर की दोपहर को करीबन 1:00 बजे सूरत शहर के दुम्मस बीच पर परिवार के साथ घूमने गया एक 13 साल का लड़का समंदर में नहाने के लिए गया था। इस बीच वह लहरों के बीच खो गया। समंदर के किनारे खड़े होकर उसके परिजन और बाकी लोग चाहकर भी उसकी मदद नहीं कर सके थे। परिवार वाले भी उसे मरा समझकर लौट आए थे। इधर सूरत पुलिस प्रशासन ने उसकी खोज के लिए गोताखोर और फायर ब्रिगेड की मदद ली थी। साथ ही साथ समंदर में गायब हुए बच्चे को खोजने के लिए हजीरा औद्योगिक क्षेत्र की बड़ी बड़ी कंपनियों से भी मदद मांगी थी। लेकिन पानी में डूबे बच्चे का कोई अता पता नहीं चला था।

अपने बेटे लखन देवीपूजक के जीवित होने की आस छोड़ चुके परिजनों के लिए खुशी की खबर तब आई जब उन्हें पता चला कि 24 घंटे समंदर में रहने के बाद भी उनका बच्चा नवसारी के पास जीवित मिला है। अपने बेटे को जीवित देख परिजनों की आंखों से खुशी के आंसू झलक पड़े।

दरअसल, समंदर के गहरे पानी में डूबने से बचाने में लखन की सहायक बनी गणेश (Ganesh) की प्रतिमा। क्योंकि प्रतिमा के निचले हिस्से का लखन को सहारा मिला और वह 24 घंटे से अधिक के समय तक उसमें बैठ तैरता रहा था। उधर, सूरत पुलिस, फायर विभाग, L&T, रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्पीड बोट के जरिए समंदर में उसे खोजने की कोशिश की गई थी लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लग सकी थी।

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समंदर में मछली पकड़ने जा रहे भवानी बट के मछुआरों ने बच्चे को देखा तो वह उसके पास पहुंचे और उसे अपनी बोट में बैठा लिया। उसके बाद मछुआरों ने उसकी सूचना मत्स्य पालन विभाग की बिंदु बेन को सूचित किया था। बिंदु बेन ने सूरत के मरीन थाना पुलिस और दुम्मस थाना पुलिस प्रशासन को सूचना दी थी।

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