नई दिल्ली। घटतौली और बिना जांच किए हुए बाट से सामान तौलने पर अब जेल की सजा नहीं होगी। ऐसे मामलों में सरकार अब जुर्माना और लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई करेगी। केंद्र सरकार विधिक माप विज्ञान अधिनियम को गैर आपराधिक बनाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है। कोई कंपनी, डिस्ट्रीब्यूटर या दुकानदार कोई सामान अधिकतम मूल्य से अधिक कीमत पर बेचता है, तो उस पर कम से कम पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। पहली शिकायत पर यह अधिकतम बीस हजार और उसके बाद यह राशि एक लाख तक हो सकती है। इस तरह कुछ और प्रावधान जोड़ने का प्रस्ताव है।
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केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने विधिक माप विज्ञान अधिनियम (एलएम एक्ट 2009) को गैर आपराधिक (डिक्रिमिनेलाइजेशन) बनाने के लिए लोगों से राय मांगी है। मंत्रालय के मुताबिक, बिना जांच वाले बाट इस्तेमाल करने पर अब दस लाख रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है। अभी तक पहली बार गलती करने पर जुर्माना और दूसरी बार छह माह तक की जेल और जुर्माना दोनों शामिल थे। इसके साथ वजन या माप के साथ छेड़छाड़ पर भी दस लाख रुपये तक जुर्माना किया जा सकता है।
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ऐसे मामलों में यदि अपील के बाद कंपाउंडिग नहीं की जाती है, तो केंद्र या राज्य सरकार द्वारा लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अभी ऐसे मामलों में पहली बार जुर्माना और दूसरी बार शिकायत मिलने पर छह से एक साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। इसी तरह बिना जांच के तौल या माप यंत्र बेचने पर भी जेल की सजा को खत्म करने का प्रस्ताव किया गया है।