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बेटियां पढ़ेंगी, तो अपना ही नहीं देश का भी स्वाभिमान बढ़ेगा

परी हूँ मैं, पढ़ी हूँ मैं

परी हूँ मैं, पढ़ी हूँ मैं

भारत में लडकियों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर जोर देना ज्यादा जरूरी है क्योंकि 22 लाख से भी ज्यादा लड़कियों की शादी कम उम्र में कर दी जाती है। ऐसे में उनका स्कूल छूटना स्वाभाविक है।

झोपड़पट्टी में रहने वाले बच्चों को शिक्षा सही तरीक़े से नहीं मिल पाती। सरकारी स्कूल में छोटे बच्चों कम्प्यूटर ट्रेनिंग नहीं होती।

लड़कियों को स्कूली शिक्षा के साथ दूसरी गतिविधियां भी सीखनी चाहिए। जिससे वो भी समाज में समानता के आधार पर अपना मुकाम हासिल कर सकें।

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इस वक़्त कम्प्यूटर क्या होता है, इसे चलाते कैसे हैं, और इसका महत्व क्या है यह सिखाने का संकल्प लिया विराट यादव और उनकी टीम ने।

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दुर्गा अष्टमी के शुभ अवसर पर उन्होंने बच्चों को कम्प्यूटर ट्रेनिंग दी। सभी का उत्साह देख टीम की भी ख़ुशी दुगनी हो गई। होनहार बच्चों ने तुरंत बहुत कुछ सीख लिया और ख़ुद से सबने कम्प्यूटर भी चलाया।

विराट यादव ने सबको पढ़ाई का सारा सामान दिया और बच्चों को छोटी से पार्टी भी दी।

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4-8 के बच्चों के लिए ड्रॉइंग कॉम्पटिशन रखा गया। विराट यादव आगे इन बच्चियों को सेल्फ़ डिफ़ेन्स की ट्रेनिंग भी देना चाहते हैं। अगर लड़की को पढ़ाओगे, अपना ही नहीं देश का भी स्वाभिमान बढ़ाओगे

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